Kajal Nishad Ravi Kishan काजल निषाद ने रवि किशन के जीएसटी वाले बयान पर साधा निशाना, क्या सचमुच सस्ता हुआ सामान
Kajal Nishad Ravi Kishan काजल निषाद ने रवि किशन के जीएसटी दावे पर मॉल में तंज कसा। क्या सचमुच 100 की चीज़ 50 में मिल रही है? जानिए जीएसटी की असलियत और जनता की सच्चाई।
Kajal Nishad Ravi Kishan इंसानी अंदाज़ से शुरुआत
अक्सर जनता यही सोचती है,कि नेता जो बोलते हैं, क्या वह सच में हमारी जेब तक असर करता है,या नहीं। हाल ही में गोरखपुर से बीजेपी सांसद और भोजपुरी स्टार रवि किशन ने दावा किया था कि जीएसटी (GST) की वजह से अब ₹100 की चीज़ ₹50 में और ₹1000 की चीज़ ₹500 में मिलने लगी है। सुनने में तो यह बयान जनता के लिए किसी खुशखबरी जैसा लगता है, लेकिन क्या वास्तव में बाजार में ऐसा हो रहा है?
Kajal Nishad Ravi Kishan इस दावे पर काजल निषाद ने जमकर तंज कसा। वे एक मॉल में पहुंचीं और दुकानदार से सीधे-सीधे पूछ लिया कि क्या सचमुच जीएसटी के कारण चीजें इतनी सस्ती हो गई हैं? जवाब ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया।
Kajal Nishad Ravi Kishan रवि किशन का दावा
रवि किशन ने कहा था कि जीएसटी लागू होने से बाजार में महंगाई कम हुई है,और अब सामान आधे दाम पर मिल रहा है। उन्होंने इसे मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि बताया।
लेकिन सवाल यह है, कि क्या वाकई ऐसा हुआ है? क्योंकि आम जनता रोज़ाना की खरीदारी में अब भी महंगाई महसूस कर रही है।
Kajal Nishad Ravi Kishan काजल निषाद का मॉल वाला तंज
काजल निषाद सीधे गोरखपुर के एक मॉल में गईं। उन्होंने दुकानदार से पूछा:
“भैया, रवि किशन जी कह रहे हैं,कि सौ रुपए की चीज अब पचास में और हज़ार की चीज़ पाँच सौ में मिल रही है। ऐसा है,क्या?”
दुकानदार ने हंसते हुए साफ कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। आज भी सामान उसी भाव में बिक रहा है, बल्कि कई चीजों पर तो टैक्स बढ़ने से महंगाई और बढ़ गई है।
Kajal Nishad Ravi Kishan इस वीडियो में काजल निषाद रवि किशन का नाम लेकर मजाकिया लहजे में कहती हैं,
“सुनो भाई, जनता को बहकाने की बजाय हकीकत बताओ। यहां तो जीएसटी ने लोगों की जेब और ढीली कर दी है।”
जीएसटीhttps://newsdilsebharat.net/featured/azamgarh-shahzeb-murder?noamp=mobile की असलियत फायदे और नुकसान
अब थोड़ा समझते हैं,कि जीएसटी ने वास्तव में जनता को क्या दिया है, और क्या छीना है।
फायदे:
1. टैक्स सिस्टम आसान हुआ पहले अलग अलग टैक्स (वैट, एक्साइज, सर्विस टैक्स आदि) लगते थे। अब सब एक टैक्स में शामिल हो गया।
2. ऑनलाइन सिस्टम व्यापारी और ग्राहक दोनों के लिए कागजी काम कम हुआ।
3. कुछ चीजें सस्ती हुईं जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान और कुछ सर्विस सेक्टर में दाम घटे।
नुकसान:
1. आम उपभोक्ता को महंगाई का एहसास ज्यादातर ज़रूरी चीजें जैसे कपड़े, जूते, रेस्टोरेंट खाना, पहले की तुलना में महंगे हो गए।
2. छोटे दुकानदार परेशान – जीएसटी की जटिल रिटर्न और ऑनलाइन प्रक्रिया ने छोटे कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ाई हैं।
3. महंगाई पर कंट्रोल नहीं सरकार कहती है,कि जीएसटी से महंगाई घटी, लेकिन बाजार में रोज़मर्रा की चीजें अभी भी महंगी हो रही हैं।
क्या रवि किशन का बयान सच से मेल खाता है,
Kajal Nishad Ravi Kishan अगर सचमुच ₹100 की चीज़ ₹50 और ₹1000 की चीज़ ₹500 में मिलने लगी होती, तो जनता राहत की सांस लेती। लेकिन जमीनी हकीकत यह है, कि
दूध, सब्ज़ी, कपड़े, जूते, दवाइयाँ, स्कूल फीस सब कुछ है।
पेट्रोल-डीज़ल पर जीएसटी नहीं है, और इनकी कीमतें ही बाकी चीज़ों को महंगा करती हैं।
दुकानदारों का कहना है, कि आधे दाम वाली बात सिर्फ राजनीतिक जुमला है, असलियत में ऐसा कुछ नहीं है।
इसलिए काजल निषाद का मॉल जाकर यह सवाल उठाना और रवि किशन की बात पर तंज कसना जनता के मन की बात को सामने लाता है।
जनता का नजरिया
सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हुआ। लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ दीं:
कुछ ने कहा कि काजल निषाद ने जनता की सच्चाई बयान की है।
कुछ ने इसे केवल राजनीतिक विरोध करार दिया।
लेकिन ज़्यादातर लोगों का मानना है,कि महंगाई आज भी सिर चढ़कर बोल रही है,और नेताओं को बयान देने से पहले हकीकत देखनी चाहिए।
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राजनीति और सच्चाई
राजनीति में अक्सर दावे बड़े-बड़े किए जाते हैं, लेकिन जनता के लिए असली सवाल यही है,कि उसकी जेब पर क्या असर पड़ा। जीएसटी का फायदा कारोबारी वर्ग और बड़े उद्योगों को मिला हो सकता है, लेकिन आम आदमी अब भी महसूस करता है,कि उसका खर्च पहले से बढ़ गया है।
काजल निषाद का रवि किशन पर तंज भले ही मजाकिया अंदाज़ में हो, लेकिन यह जनता की पीड़ा को उजागर करता है। जीएसटी ने टैक्स सिस्टम को सरल ज़रूर किया, लेकिन महंगाई कम करने में वह उतना सफल नहीं दिख रहा जितना दावा किया गया था।
आज भी आम आदमी यही पूछता है: “क्या सचमुच 100 की चीज़ 50 में और 1000 की चीज़ 500 में मिल रही है?”और जवाब बाज़ार में जाकर ही मिल जाता है।
डिस्क्लेमर
यह आर्टिकल सार्वजनिक बयानों, सोशल मीडिया वीडियो और बाज़ार की वास्तविक स्थितियों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी और जागरूकता फैलाना है। इसमें किसी भी राजनीतिक दल या नेता का समर्थन या विरोध नहीं किया गया है।
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