Rae Bareli Mob Lynching हम बाबा के लोग हैं’ कहकर भीड़ ने बेगुनाह को पीट पीटकर मार डाला: रायबरेली में ड्रोन चोर समझकर हरीओम की दर्दनाक मौत, इंसानियत फिर हुई शर्मसार
Rae Bareli Mob Lynching रायबरेली में 40 वर्षीय हरीओम को भीड़ ने ‘ड्रोन चोर’ समझकर बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला। लोग खुद को “योगी बाबा के लोग” बताते रहे और निर्दोष हरीओम इंसाफ की भीख मांगता रहा। पुलिस की लापरवाही और भीड़ की हिंसा ने इंसानियत को फिर शर्मसार कर दिया।
कभी कभी समाज का सबसे खतरनाक चेहरा तब सामने आता है जब भीड़ इंसाफ के नाम पर जान लेने लगती है। रायबरेली की यह घटना उसी भयावह सच्चाई की गवाही देती है, जहां 40 वर्षीय हरीओम को भीड़ ने सिर्फ शक के आधार पर इतना मारा कि उसने दम तोड़ दिया।
Rae Bareli Mob Lynching वह बार-बार कहता रहा “मैं चोर नहीं हूं, मेरे ससुराल पास में हैं ”लेकिन वहां किसी ने इंसान की आवाज़ नहीं सुनी, बस भीड़ का गुस्सा बोलता रहा।
रात 10 बजे गदागंज में पुलिस ने पकड़ा था हरीओम
रायबरेली के गदागंज थाना क्षेत्र में रात करीब 10 बजे 40 वर्षीय हरीओम को पुलिस ने भीड़ से घिरा हुआ पाया। लोग उसे घेरकर खड़े थे, कोई कह रहा था कि वह संदिग्ध है, तो कोई उसे “चोर” बता रहा था।
जब पुलिस ने उससे बात की तो पता चला कि हरीओम की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।
एक होमगार्ड ने सुझाव दिया कि माहौल सही नहीं है, उसे थाने ले चलना चाहिए। मगर पुलिसकर्मियों ने उसे वहीं छोड़ दिया। शायद उन्हें भी अंदाज़ा नहीं था कि यह लापरवाही कुछ ही घंटों बाद एक निर्दोष की जान ले लेगी।
10 किलोमीटर आगे और शुरू हुआ ‘मौत का तांडव’
हरीओम पैदल ही ईश्वरदासपुर गांव की ओर बढ़ गया, जो गदागंज से करीब 10 किलोमीटर दूर है।
रात के सन्नाटे में जब वह वहां पहुँचा, तो गांव वालों ने उसे देखकर ‘ड्रोन चोर’ समझ लिया।
किसी ने चिल्लाया “पकड़ो इसे! ये चोर है।”
और बस, कुछ ही पलों में भीड़ जमा हो गई।
कई लोग “हम योगी के लोग हैं, भाग नहीं पाएगा” चिल्लाते हुए उस पर टूट पड़े।
किसी ने बेल्ट से मारा, किसी ने डंडे से, तो किसी ने लात-घूंसों से।
करीब दो घंटे तक लगातार मारपीट होती रही।
हरीओम चीखता रहा, गिरता रहा, मगर किसी ने दया नहीं दिखाई।
Rae Bareli Mob Lynching मुख्य सड़क पर हुई बर्बरता, राहगीर भी खड़े देखते रहे
यह वारदात किसी बंद गांव में नहीं बल्कि ऊंचाहार-दलमऊ मुख्य मार्ग पर हुई।
Rae Bareli Mob Lynching जहां से वाहन गुजरते रहे, लोग देखते रहे, लेकिन किसी ने आगे बढ़कर रोकने की हिम्मत नहीं दिखाई।
वैभव सिंह नाम के युवक ने हरीओम के गले पर पैर रखकर दबाया हुआ था, जबकि अनुज मौर्य, सुरेश, विपिन और सहदेव उस पर लगातार डंडे और बेल्ट बरसा रहे थे।
धीरे-धीरे हरीओम की हरकतें बंद हो गईं, लेकिन भीड़ का गुस्सा नहीं थमा।
Rae Bareli Mob Lynching वीडियो में कैद हरीओम की आखिरी सांसें
एक वीडियो सामने आया है जिसमें हरीओम टूटती सांसों में खुद को निर्दोष बताने की कोशिश कर रहा है।
वह कहता है,“मेरा ससुराल यहीं पास में है…”
पर जब भीड़ का ‘न्याय’ चलता है, तो कोई सुनता नहीं।
उसकी आखिरी आवाज़ें हवा में गुम हो गईं, और सड़क पर सिर्फ एक लाश बची रह गई।
Rae Bareli Mob Lynching पुलिस ने शुरू की सर्चिंग, गांवों में छापेमारी
वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने संदिग्धों की पहचान शुरू की है।
वीडियो से तस्वीरें निकालकर कई गांवों में छापेमारी की जा रही है।
Rae Bareli Mob Lynching पुलिस अधिकारियों का कहना है,कि यह मामला बेहद गंभीर है और इसमें कोई भी आरोपी नहीं बख्शा जाएगा।
इलाके में तनाव का माहौल है, और लोग अब पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं,अगर उसी वक्त हरीओम को थाने ले जाया गया होता, तो क्या वह आज जिंदा होता?
Rae Bareli Mob Lynching स्थानीय लोगों की गवाही: “भीड़ ने पहचानने तक का मौका नहीं दिया”
हमारी टीम ने जब घटनास्थल और आसपास के लोगों से बात की, तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं।
गांव के एक बुजुर्ग ने कहा “वो बार-बार बोल रहा था कि वह किसी के घर जा रहा है, लेकिन भीड़ ने पहचानने का मौका तक नहीं दिया।”
कई लोग अब पछता रहे हैं, कि उन्होंने उस वक्त हरीओम को बचाने की कोशिश क्यों नहीं की।
यह पछतावा अब बेकार है, क्योंकि एक निर्दोष की जान जा चुकी है।

Rae Bareli Mob Lynching समाज के लिए बड़ा सवाल
क्या अब भीड़ ही कानून बन गई है?
क्या अब शक के आधार पर किसी की जान लेना सही हो गया है?
हरीओम का कसूर सिर्फ इतना था कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ था और रास्ता भटक गया था।
अगर पुलिस और समाज थोड़ा संवेदनशील होता, तो शायद आज हरीओम ज़िंदा होता।
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है, कहीं हम इंसानियत से दूर तो नहीं चले गए?
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल जनहित और सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है।
इसमें दी गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों और स्थानीय स्तर पर मिली सूचनाओं पर आधारित है।
हम किसी व्यक्ति, संगठन या राजनीतिक दल के प्रति पूर्वाग्रह नहीं रखते।
इस लेख का उद्देश्य समाज में संवेदनशीलता और कानून के प्रति जागरूकता बढ़ाना है, न कि किसी को उकसाना या निशाना बनाना।
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