Azamgarh Shahzeb Murder आज़मगढ़ में 7 साल के शाजेब की हत्या: जनता की मांग  अपराधियों के घर पर चले योगी का बुलडोज़र और मिले फाँसी की सजा

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Azamgarh Shahzeb Murder आज़मगढ़ में 7 साल के शाजेब की हत्या: जनता की मांग  अपराधियों के घर पर चले योगी का बुलडोज़र और मिले फाँसी की सजा

 

Azamgarh Shahzeb Murder आज़मगढ़ के सिधारी थाना क्षेत्र में 7 साल के मासूम शाजेब की दर्दनाक हत्या ने पूरे समाज को झकझोर दिया। राष्ट्रिय उलेमा काउंसिल के महासचिव तल्हा रशादी ने न्याय और कड़ी कार्रवाई की मांग की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

Azamgarh Shahzeb Murder कभी सोचा है, कि एक मासूम बच्चा खेलते-खेलते अचानक मौत की खामोश दुनिया में धकेल दिया जाए? यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि आज़मगढ़ के सिधारी थाना क्षेत्र के पठान टोला गाँव की कड़वी सच्चाई है। यहाँ 7 साल के शाजेब की निर्मम हत्या ने न सिर्फ उसके परिवार को बल्कि पूरे समाज को भीतर तक हिला दिया।

यह घटना इंसानियत पर सवाल खड़े करती है,आखिर हम बच्चों को कितनी सुरक्षित रख पा रहे हैं?

घटना कैसे घटी?

Azamgarh Shahzeb Murder गायब होने से फिरौती तक

बुधवार की शाम शाजेब अपने दोस्तों संग खेलने घर से निकला था। घंटों बीत गए लेकिन वह वापस नहीं लौटा। घबराए परिजनों ने तलाश शुरू की। तभी एक अनजान फोन आया, जिसमें शाजेब की रिहाई के बदले 12 लाख रुपये की फिरौती मांगी गई।

परिवार ने पुलिस को सूचना दी और गाँव में बेचैनी फैल गई।

Azamgarh Shahzeb Murder बोरें में मिला मासूम का शव

गुरुवार की सुबह लोगों की आँखें उस समय फटी की फटी रह गईं जब शाजेब का शव एक बोरें में भरकर पास के घर के बाहर लोहे की तार से लटकता मिला। यह दृश्य इतना भयावह था कि जिसने भी देखा, उसकी रूह काँप गई।

गाँव में मातम छा गया। शाजेब की माँ बेहोश हो गईं और पिता की हालत देखना मुश्किल हो गया।

Azamgarh Shahzeb Murder आरोपियों का पर्दाफाश

Azamgarh Shahzeb Murder आज़मगढ़ में 7 साल के शाजेब की हत्या: जनता की मांग  अपराधियों के घर पर चले योगी का बुलडोज़र और मिले फाँसी की सजा

पुलिस जांच में सामने आया कि इस घटना के पीछे गाँव के ही कुछ लोग शामिल थे।

शैलेंद्र कुमार निगम उर्फ मंटू

राजा निगम

साथ ही इनके परिवार के कुछ सदस्य और सहयोगी

बताया जा रहा है,कि पुराने विवाद और लालच की वजह से इन आरोपियों ने मासूम को निशाना बनाया।

पुलिस ने घेराबंदी कर दोनों मुख्य आरोपियों को मुठभेड़ में गिरफ्तार किया। दोनों के पैर में गोली लगी और उनके पास से पिस्तौल व कारतूस बरामद हुए। इसके बाद परिवार के अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया।

Azamgarh Shahzeb Murder  पुलिस की भूमिका

घटना की जानकारी मिलते ही आज़मगढ़ पुलिस हरकत में आई।

एसपी डॉ. अनिल कुमार ने विशेष टीम गठित की।

फॉरेंसिक टीम और डॉग स्क्वॉड मौके पर बुलाए गए।

आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने भरोसा दिलाया कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।

हालाँकि गाँव के लोग सवाल उठा रहे हैं,कि जब परिवार ने शुरू से ही पुलिस को सूचना दी थी, तो क्या और तेज़ी से कार्रवाई नहीं हो सकती थी?

Azamgarh Shahzeb Murder तल्हा रशादी साहब की अपील

राष्ट्रिय उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय महासचिव अधिवक्ता तल्हा रशादी साहब इस घटना के बाद खुद शाजेब के परिवार से मिलने पहुँचे। उन्होंने कहा:

यह हत्या सिर्फ एक बच्चे की नहीं, बल्कि इंसानियत की हत्या है।

दोषियों को तुरंत और कठोरतम सजा दी जानी चाहिए।

सरकार और प्रशासन को बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

परिवार को कानूनी सहायता और हर संभव मदद देने का वादा किया गया।

Azamgarh Shahzeb Murder तल्हा साहब ने साफ कहा कि अगर पुलिस या प्रशासन ने जांच में लापरवाही की, तो आवाज़ बुलंद की जाएगी और जनता को इंसाफ दिलाने की लड़ाई जारी रहेगी।

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समाज के सामने खड़े सवाल

शाजेब की हत्या कई गहरे सवाल छोड़ गई है,

क्या बच्चों के अपहरण और हत्या की घटनाओं पर हमारी व्यवस्था सच में गंभीर है?

क्या पुलिस की शुरुआती कार्रवाई और तेज़ हो सकती थी?

क्या हमारे गाँव-कस्बों में सुरक्षा तंत्र इतना कमजोर है,कि अपराधी मासूम बच्चों को आसानी से शिकार बना लें?

और सबसे जरूरी  क्या न्याय व्यवस्था इतनी तेज़ और सख्त है,कि भविष्य में कोई अपराधी ऐसा करने से पहले सौ बार सोचे?

शाजेब का जाना केवल एक परिवार का दुख नहीं है, यह पूरे समाज की हार है। उसकी मासूम हँसी अब कभी नहीं लौटेगी, लेकिन उसकी मौत हमें झकझोरती है, कि हम अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए कब जागेंगे।

आज़मगढ़ की यह घटना हमें बताती है, कि केवल पुलिस, केवल नेता या केवल प्रशासन नहीं, बल्कि हम सबको मिलकर ऐसी घटनाओं के खिलाफ खड़ा होना होगा।

तल्हा रशादी साहब की आवाज़ इस दर्द को और गहरा कर देती है, अब समय आ गया है, कि हर शाजेब के लिए इंसाफ सुनिश्चित हो।

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अस्वीकरण 

यह लेख विश्वसनीय जानकारी और उपलब्ध तथ्यों के आधार पर तैयार किया गया है। किसी भी व्यक्ति या संस्था को आहत करना इसका उद्देश्य नहीं है। यदि भविष्य में नए तथ्य सामने आते हैं, तो लेख में संशोधन संभव है। इस लेख का मकसद केवल समाज को जागरूक करना और न्याय की मांग को बुलंद करना है।

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