Deputy CM UP BJP यूपी की सियासत में हलचल: क्या हटाए गए हैं दोनों डिप्टी सीएम? विज्ञापन से नाम गायब होने पर उठे सवाल
Deputy CM UP BJP उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के विज्ञापन से दोनों डिप्टी सीएम के नाम गायब। क्या पद खत्म हुए या सियासी दूरी बढ़ी? पढ़िए पूरी अंदरूनी कहानी।
कभी सत्ता की ताकत के दो मजबूत स्तंभ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम अब अचानक राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र में हैं। जनता पूछ रही है,“जो विज्ञापन में जगह नहीं पा सके, उनका सरकार में क्या महत्व बचा है?” यह सवाल केवल व्यंग्य नहीं, बल्कि उस बदलती सियासी हवा की निशानी है,जिसमें सत्ता के भीतर की दूरी अब खुलकर दिखने लगी है।
Deputy CM UP BJP विज्ञापन में न दिखे डिप्टी सीएम के नाम, जनता में उठी चर्चा
Deputy CM UP BJP हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक बड़े सरकारी विज्ञापन में सभी प्रमुख मंत्री और अधिकारी शामिल थे पर आश्चर्य की बात यह रही कि दोनों डिप्टी सीएम के नाम और तस्वीरें गायब थीं।
इस बात ने न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि जनता के बीच भी हलचल मचा दी है।
लोग पूछने लगे हैं, “क्या डिप्टी सीएम के पद समाप्त कर दिए गए हैं?”
कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे बीजेपी के अंदर चल रहे शक्ति संघर्ष से जोड़कर देख रहे हैं।
वहीं विपक्ष ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि “डबल इंजन की सरकार में अब इंजन आपस में टकरा रहे हैं।”
सत्ता के अंदर ‘डबल इंजन’ की जंग?
Deputy CM UP BJP बीजेपी सरकार हमेशा खुद को “डबल इंजन की ताकत” कहती रही है,लेकिन अब ऐसा लग रहा है,कि दोनों इंजन एक ही दिशा में नहीं चल रहे।
सूत्रों के अनुसार, हाल के महीनों में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों के बीच कार्यक्रमों, निर्णयों और प्रचार सामग्रियों को लेकर मतभेद देखने को मिले हैं।
कई मौकों पर यह भी देखा गया कि महत्वपूर्ण राज्य आयोजनों में डिप्टी सीएम को मंच साझा करने का मौका नहीं दिया गया।
राजनीतिक जानकारों का मानना है,कि यह स्थिति केवल व्यक्तिगत नाराज़गी नहीं, बल्कि सत्ता के अंदर चल रहे “domineering thinking” का नतीजा है।
अयोध्या दीपोत्सव विवाद ने बढ़ाई नाराज़गी
Deputy CM UP BJP इस विवाद को और हवा तब मिली जब खबर आई कि अयोध्या दीपोत्सव कार्यक्रम में PDA समुदाय के सांसद को आमंत्रण तक नहीं मिला।
यह वही समुदाय है जिसे बीजेपी ने चुनावों के दौरान “सबका साथ, सबका विकास” के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया था।
पार्टी के अंदर से भी आवाजें उठने लगी हैं, कि “अगर पार्टी अपने ही प्रतिनिधियों को दरकिनार करने लगे, तो आम जनता का भरोसा कैसे कायम रहेगा?”
डिप्टी सीएम के नाम न दिखाना और पार्टी सांसदों की अनदेखी दोनों घटनाएँ संकेत दे रही हैं,कि बीजेपी की अंदरूनी एकजुटता अब सवालों के घेरे में है।
जनता का सवाल: क्या यह ‘डिप्टी सीएम आउट’ का संकेत है,
Deputy CM UP BJP राजनीतिक हलकों में अब यह चर्चा तेज हो गई है,कि कहीं यूपी में डिप्टी सीएम पद की पुनर्समीक्षा तो नहीं की जा रही।
विज्ञापन में नाम न होना केवल एक तकनीकी गलती नहीं मानी जा रही, बल्कि इसे एक “राजनीतिक संदेश” के रूप में देखा जा रहा है।
वहीं जनता कह रही है,
“अगर डिप्टी सीएम का नाम तक नहीं दिखता, तो फिर जनता के बीच उनकी क्या पहचान बचती है?”
यह स्थिति न केवल पद की गरिमा को प्रभावित करती है, बल्कि सत्ता में मौजूद संतुलन और सहयोग की भावना पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है।
सत्ता में दिखी दरार या नई रणनीति?
Deputy CM UP BJP यूपी की सियासत में यह कोई पहली बार नहीं है, जब अंदरूनी मतभेद सुर्खियों में आए हों।
पर इस बार मामला केवल असहमति का नहीं, बल्कि “सियासी अस्तित्व” का हो चला है।
डिप्टी सीएम के नाम न दिखाना एक प्रतीक बन गया है,जहाँ सत्ता के भीतर की खामोशी अब बहुत कुछ कह रही है।
Deputy CM UP BJP आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस सियासी उलझन को कैसे सुलझाती है,क्या यह केवल विज्ञापन की गलती थी या किसी बड़ी सियासी रणनीति की झलक?
अस्वीकरण
Deputy CM UP BJP यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी और राजनीतिक विश्लेषण पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति की आलोचना या समर्थन करना नहीं, बल्कि घटनाओं की वस्तुनिष्ठ प्रस्तुति करना है।


+ There are no comments
Add yours