Prayagraj Muslim woman injustice प्रयागराज के सिकंदर इलाके में मुस्लिम महिला शीबा की फरियाद “क्या मुसलमान होने की वजह से इंसाफ नहीं मिलेगा?”

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Prayagraj Muslim woman injustice प्रयागराज के सिकंदर इलाके में मुस्लिम महिला शीबा की फरियाद “क्या मुसलमान होने की वजह से इंसाफ नहीं मिलेगा?”

Prayagraj Muslim woman injustice प्रयागराज की शीबा का आरोप: आरोपी प्रत्याक्ष द्विवेदी ने घर में घुसकर छेड़छाड़ और धमकी दी। पुलिस की चुप्पी पर सवाल, इंसाफ की मांग तेज।

Prayagraj Muslim woman injustice  प्रयागराज, उत्तर प्रदेश। देश की न्याय व्यवस्था और पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़ा करने वाला एक सनसनीखेज मामला प्रयागराज के सिकंदर इलाके से सामने आया है। मुस्लिम महिला शीबा हाकिम उल्ला ने आरोप लगाया है,कि प्रत्याक्ष द्विवेदी नाम का युवक उनके घर में जबरन घुस आया, उनके साथ छेड़छाड़ की, अश्लील इशारे किए और जान से मारने की धमकी दी।

शीबा का कहना है,कि उन्होंने पुलिस और प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन उनकी फरियाद को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। उनका दर्द सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जहां लोग सवाल उठा रहे हैं,कि आखिर इंसाफ में धर्म क्यों आड़े आ रहा है।

घटना का आरोप

पीड़िता शीबा के मुताबिक,

 

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आरोपी प्रत्याक्ष द्विवेदी (पिता – आलोक द्विवेदी) उनके घर जबरन घुस आया।

उसने न सिर्फ उनका शारीरिक उत्पीड़न किया बल्कि धमकी भी दी कि अगर उन्होंने शिकायत की तो उनकी हत्या कर दी जाएगी।

शीबा का कहना है, कि घटना के बाद से वह दहशत में जी रही हैं और परिवार भी असुरक्षित महसूस कर रहा है।

पुलिस प्रशासन पर सवाल

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और पोस्ट्स में शीबा साफ कह रही हैं कि “अगर मैं मुसलमान न होती, तो अब तक इंसाफ मिल चुका होता।”

यह बयान अपने आप में प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े करता है।

आखिर क्यों एक महिला की फरियाद को सिर्फ इसलिए नज़रअंदाज़ किया जा रहा है क्योंकि वह अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखती है?

क्या उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था धर्म देखकर काम करती है?

या फिर प्रशासन दबाव में है, और आरोपी को बचाने की कोशिश की जा रही है?

सोशल मीडिया पर गुस्सा

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इस घटना के सामने आते ही ट्विटर (X) पर #JusticeForSheeba और #Prayagraj ट्रेंड करने लगा।

The Observer Post नामक हैंडल ने आरोपी का नाम और पिता का नाम उजागर करते हुए लिखा कि शीबा न्याय की गुहार लगा रही हैं, लेकिन प्रशासन खामोश है।

Harun Khan और कई अन्य पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर सरकार से कार्रवाई की मांग की।

आम लोग भी कमेंट्स में लिख रहे हैं, कि “अगर यही घटना किसी और समुदाय की महिला के साथ हुई होती तो अब तक पुलिस फुर्ती दिखा चुकी होती।”

Prayagraj Muslim woman injustice महिला सुरक्षा पर बड़ा सवाल

उत्तर प्रदेश सरकार लगातार दावा करती है, कि राज्य में “महिलाएं सुरक्षित हैं, अपराधियों पर बुलडोज़र चलता है।” लेकिन वास्तविकता बार-बार इन दावों की पोल खोल देती है।

अगर शीबा को न्याय नहीं मिलता, तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि महिला सुरक्षा के नारों का क्या मतलब रह गया?

क्या “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे नारे सिर्फ चुनावी मंच तक सीमित हैं?

जब एक महिला अपने घर में भी सुरक्षित न हो, तो इसे कानून व्यवस्था की विफलता नहीं तो और क्या कहा जाए?

Prayagraj Muslim woman injustice धार्मिक भेदभाव का आरोप

Prayagraj Muslim woman injustice
सोर्स बाय गूगल इमेज

शीबा का सबसे बड़ा आरोप है,कि उन्हें न्याय इसलिए नहीं मिल रहा क्योंकि वह मुस्लिम हैं।

भारत जैसे लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश में यह आरोप बहुत गंभीर है।

अगर सचमुच इंसाफ धर्म देखकर दिया जा रहा है, तो यह संविधान की आत्मा और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का सीधा उल्लंघन है।

यह प्रशासन की निष्पक्षता पर गहरा धब्बा है।

  Prayagraj Muslim woman injustice सरकार और पुलिस की जिम्मेदारी

पुलिस की पहली जिम्मेदारी है कि किसी भी महिला की शिकायत को गंभीरता से सुना जाए और तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए।

आरोपी को कानून के दायरे में लाकर निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

 यदि शीबा के आरोप सच साबित होते हैं, तो आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि यह संदेश जाए कि उत्तर प्रदेश में किसी भी महिला के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

  Prayagraj Muslim woman injustice जनता की आवाज

इस मामले पर जनता में भी गुस्सा है। लोग कह रहे हैं:

“अगर प्रशासन शीबा को न्याय नहीं देता, तो इसका मतलब साफ है, कि कानून व्यवस्था धर्म देखकर काम कर रही है।”

“उत्तर प्रदेश सरकार को तुरंत संज्ञान लेकर आरोपी पर कार्रवाई करनी चाहिए।”

“महिलाओं के मामले में धर्म नहीं, इंसाफ सबसे बड़ा होना चाहिए।”

Prayagraj Muslim woman injustice पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स की भूमिका

स्थानीय पत्रकारों और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स ने इस मुद्दे को उठाया, वरना शायद यह मामला दबा दिया जाता।

इसने साबित कर दिया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म अब आम जनता की आवाज़ बन चुका है।

हालांकि, सवाल यह भी है,कि अगर सोशल मीडिया पर यह मामला वायरल न होता, तो क्या प्रशासन कार्रवाई करता?

  Prayagraj Muslim woman  injustice निष्कर्ष

शीबा का दर्द सिर्फ उनकी व्यक्तिगत कहानी नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था की असलियत को उजागर करता है जहां महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं हैं और इंसाफ धर्म व दबाव देखकर बांटा जाता है।

Prayagraj Muslim woman injustice सरकार और पुलिस को चाहिए कि

इस मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करे,

आरोपी प्रत्याक्ष द्विवेदी को गिरफ्तार करे,

शीबा और उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराए,

और यह संदेश दे कि कानून सबके लिए बराबर है।

क्योंकि अगर इंसाफ धर्म देखकर दिया जाने लगेगा, तो यह लोकतंत्र और संविधान दोनों की हार होगी।

Prayagraj Muslim woman injustice अंतिम शब्द

शीबा की फरियाद हम सबकी फरियाद है।

यह सिर्फ एक महिला का मुद्दा नहीं, बल्कि महिला सुरक्षा, धर्मनिरपेक्षता और न्यायपालिका की निष्पक्षता का सवाल है।

सरकार और पुलिस को आईना दिखाने का वक्त आ गया है—

“न्याय धर्म देखकर नहीं, बल्कि इंसाफ देखकर होना चाहिए।”

akhtar husain https://newsdilsebharat.net

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