Ayodhya Deepotsav: राम की नगरी से विश्व धरोहर बनने तक की यात्रा
क्या आपने कभी सोचा है कि कोई शहर जो सदियों तक संघर्ष, विवाद और उपेक्षा का शिकार रहा हो, एक दिन पूरी दुनिया की श्रद्धा और गौरव का प्रतीक बन सकता है? यही कहानी है अयोध्या की, जहाँ Ayodhya Deepotsav ने एक सांस्कृतिक क्रांति का रूप ले लिया है। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की आस्था, आत्मविश्वास और विरासत की वापसी का प्रतीक बन चुका है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपोत्सव 2025 के मौके पर भावुक शब्दों में अयोध्या के बदलाव को बयां किया। उन्होंने कहा कि यह वही अयोध्या है जहां कभी रामभक्तों पर गोलियां चलाई गईं, जहां भगवान श्रीराम को “मिथक” कहकर नकारा गया। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया कि राम का कोई अस्तित्व नहीं है। लेकिन आज यही अयोध्या दुनिया के सबसे बड़े दीपोत्सव की मेज़बानी कर रही है। Ayodhya Deepotsav का यह सफर अतीत के अंधेरे से निकलकर श्रद्धा की नई रोशनी तक पहुंचा है।
2017 में जब दीपोत्सव की शुरुआत हुई थी, तब मुश्किल से 1.71 लाख दीपक जलाए गए थे। लेकिन 2025 के आयोजन में, 26 लाख से ज़्यादा दीयों से अयोध्या जगमगा उठी। राम की पैड़ी और 56 घाटों पर जब एक साथ रोशनी फैली, तो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे त्रेता युग फिर लौट आया हो। यह दृश्य ना सिर्फ भव्य था, बल्कि यह दर्शाता है कि Ayodhya Deepotsav सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण की मिसाल है।
इस बदलाव ने अयोध्या को सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि एक मजबूत पर्यटन केंद्र में भी बदल दिया है। अब यह शहर Spiritual Tourism के ग्लोबल मैप पर है। राम मंदिर के निर्माण, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नए होटलों और सुविधाओं ने अयोध्या को आधुनिक रूप दिया है, लेकिन इसकी आत्मा अभी भी वैसी ही पवित्र है। यह सब संभव हुआ है Ayodhya Deepotsav के चलते, जिसने सरकार, जनता और संस्कृति को एक सूत्र में पिरो दिया।
योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कांग्रेस और सपा पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि जो लोग बाबर की मजार पर फूल चढ़ाते हैं, वे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं आते। लेकिन जनता अब फर्क समझती है। Ayodhya Deepotsav ने यह साबित कर दिया कि भारत अब अपनी आस्था को नकारने वालों को पीछे छोड़ चुका है, और खुद को फिर से पहचान रहा है।
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'राममय' श्री अयोध्या धाम में आज 26 लाख 17 हजार 215 दीपों की जगमगाती ज्योति ने विश्व-रिकॉर्ड रचते हुए सनातन संस्कृति के अमर तेज को पुनः प्रज्वलित किया है।
'दीपोत्सव-2025' श्रद्धा, साधना और संकल्प का वह उत्सव है, जहां 2,128 वेदाचार्यों, अर्चकों और साधकों ने एक साथ माँ सरयू की आरती… pic.twitter.com/eoDfitHkWB
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 19, 2025
आज अयोध्या देश के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा बन चुकी है। यह दिखाता है कि जब कोई समाज अपनी जड़ों से जुड़े, तो वह न केवल इतिहास बदल सकता है, बल्कि भविष्य भी गढ़ सकता है। Ayodhya Deepotsav भारत की उस सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा बन गया है, जिसे अब कोई दबा नहीं सकता। दीपावली का यह आयोजन अब सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक आंदोलन है — आस्था, संस्कृति और अस्मिता को फिर से स्थापित करने का।
अंत में, अयोध्या की ये जगमगाहट सिर्फ मिट्टी के दीपों की नहीं है। ये उस तप, संघर्ष और विश्वास की रोशनी है जिसे सालों तक दबाने की कोशिश की गई थी। आज जब पूरा शहर रोशनी में नहा जाता है, तो यह केवल अयोध्या की नहीं, पूरे भारत की आत्मा के फिर से जागने का संकेत देता है। Ayodhya Deepotsav 2025 ने यह साबित कर दिया है कि जहाँ दीप जलते हैं, वहाँ अंधकार टिक नहीं सकता।
Disclaimer: यह लेख सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहलुओं को उजागर करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार समाचार स्रोतों और सार्वजनिक भाषणों पर आधारित हैं। यह किसी राजनीतिक दल या विचारधारा का समर्थन नहीं करता।
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