Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc मेरठ बवाल: बीजेपी पार्षद उत्तम सैनी की गिरफ्तारी के बाद थाने में हंगामा विधायक अमित अग्रवाल भी पहुँचे, सवाल उठा कानून की बराबरी पर
Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc मेरठ में बीजेपी पार्षद उत्तम सैनी की गिरफ्तारी के बाद थाने में बवाल विधायक अमित अग्रवाल भी पहुँचे। सवाल उठा क्या कानून सबके लिए बराबर है,या नेताओं के लिए अलग नियम पढ़ें पूरी खबर।
ठेले लगाने के विवाद से शुरू हुआ मामला थाने में बड़ा हंगामा
मेरठ में रविवार शाम एक छोटा सा विवाद अचानक बड़े बवाल में बदल गया। सूरजकुंड पार्क के पास ठेले लगाने को लेकर शुरू हुई कहासुनी ने ऐसा रूप लिया कि मामला थाने तक पहुँच गया। पुलिस ने मौके से बीजेपी पार्षद उत्तम सैनी और तीन युवकों को हिरासत में ले लिया। लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। जब यह खबर फैली तो थाने के बाहर हंगामा शुरू हो गया।
Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc थोड़ी ही देर में स्थानीय बीजेपी विधायक अमित अग्रवाल भी सिविल लाइन थाने पहुँच गए। इसके बाद वहाँ माहौल और बिगड़ गया। बीजेपी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच धक्का मुक्की हुई नारेबाजी हुई और थाने का माहौल युद्धक्षेत्र जैसा बन गया।
सवाल कानून सबके लिए बराबर है या नेताओं के लिए अलग
इस घटना ने एक बार फिर वही पुराना सवाल खड़ा कर दिया है।
क्या कानून का डंडा गरीब पर ही चलेगा और नेताओं पर हमेशा ढील दी जाएगी?
पुलिस अगर गरीब ठेले वाले को पकड़ती है, तो उसे घंटों थाने में बैठा रखा जाता है। लेकिन जब कोई पार्षद या विधायक थाने में हंगामा करता है, तो पुलिस सिर्फ चुप्पी साध लेती है। आखिर क्यों
कानून का मतलब है,सबके लिए बराबरी। न कोई बड़ा, न कोई छोटा, न कोई नेता और न कोई आम आदमी। चाहे वह बीजेपी का नेता हो, सपा का कार्यकर्ता हो, कांग्रेस का पदाधिकारी हो या कोई आम इंसान अगर कानून तोड़ेगा तो सजा मिलनी चाहिए।
Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc सूरजकुंड पार्क विवाद कैसे बढ़ा मामला

रविवार को सूरजकुंड पार्क के पास ठेले लगाने को लेकर झगड़ा हुआ। गवाही देने वालों का कहना है, कि विवाद ठेले की जगह और कब्जे को लेकर शुरू हुआ। देखते देखते मामला हाथापाई तक पहुँच गया। पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और हालात बिगड़ने से रोकने के लिए पार्षद सहित तीन युवकों को हिरासत में ले लिया गया।
थाने में विधायक और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा
जैसे ही खबर फैली, बीजेपी कार्यकर्ता थाने पहुँचने लगे। थाने का माहौल तनावपूर्ण हो गया। भीड़ बढ़ी तो पुलिस को सुरक्षा बढ़ानी पड़ी।
स्थानीय विधायक अमित अग्रवाल भी थाने पहुँचे और पुलिस अधिकारियों से बहस की। इसी दौरान कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ कार्यकर्ताओं ने तो पुलिस से धक्का मुक्की भी की।
Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो पुलिस पर उठे सवाल
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में साफ दिख रहा है,कि किस तरह बीजेपी कार्यकर्ता थाने में पुलिस से भिड़ रहे हैं। पुलिसकर्मी उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पूरी तरह सफल नहीं हो पाए।
सोशल मीडिया पर लोग पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं। कुछ लोग कह रहे हैं, कि पुलिस नेताओं के आगे झुक जाती है, जबकि गरीब आदमी को तुरंत जेल भेज देती है।
Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc ट्विटर पर प्रतिक्रियाएँ जनता ने कसा तंज
इस घटना के बाद ट्विटर (अब X) पर यूज़र्स ने अपनी राय रखी।
एक यूज़र ने लिखा:
“मेरठ पुलिस गरीब ठेले वालों को पीट देती है, लेकिन नेताओं के सामने क्यों चुप हो जाती है? #meerut #uppolice”
दूसरे ने तंज कसते हुए कहा:
“अगर आम आदमी थाने में हंगामा करता तो सीधा जेल में होता। विधायक और पार्षद हैं, इसलिए बच जाएंगे।”
तीसरे ने लिखा:
“#viralvideo देखकर साफ है, कि नेताओं को कानून की परवाह ही नहीं। सवाल है, क्या यूपी पुलिस में हिम्मत है, नेताओं पर भी कार्रवाई करने की
एक चौथे यूज़र का ट्वीट था
“ठेले वाले गरीब का हक छीना गया, पुलिस नेताओं की हिफाजत में खड़ी रही। यही है नया इंडिया?”
Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc पुलिस की सफाई
पुलिस अधिकारियों का कहना है,कि यह विवाद ठेले लगाने के मुद्दे पर हुआ था। उन्होंने कहा कि
“हमने हालात को बिगड़ने से बचाने के लिए सभी पक्षों को थाने लाया। मामले की जांच की जा रही है। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।”
हालाँकि, कार्यकर्ताओं के हंगामे को लेकर पुलिस ने अभी तक किसी खास कार्रवाई का ऐलान नहीं किया है। यही वजह है, कि विपक्ष और जनता दोनों सवाल उठा रहे हैं,कि क्या पुलिस वाकई नेताओं पर हाथ डालने की हिम्मत दिखा पाएगी?
Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc लोकतंत्र में कानून की ताकत सबसे बड़ी
यह घटना केवल मेरठ का मामला नहीं है। यह पूरे देश का आइना है। लोकतंत्र का मतलब है, सबके लिए बराबरी।
Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc अगर गरीब आदमी, दुकानदार, रिक्शे वाला या ठेले वाला कानून तोड़े तो पुलिस उसे तुरंत पकड़ लेती है। लेकिन वही कानून अगर नेता या पार्षद तोड़े तो पुलिस की हिम्मत क्यों टूट जाती है?
कानून और संविधान का सम्मान तभी होगा जब पुलिस और प्रशासन किसी भी धर्म, जाति या पद को देखकर काम न करें। लोकतंत्र का असली मतलब यही है,कि नेता और जनता सब एक जैसे हैं।
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Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc क्या होना चाहिए
1. पुलिस को सख्त कदम उठाने चाहिए।
चाहे विधायक हों, पार्षद हों या कार्यकर्ता अगर थाने में हंगामा किया गया है,तो वीडियो सबूत के आधार पर FIR होनी चाहिए।
2. ठेले वालों को भी न्याय मिलना चाहिए।
गरीब की रोज़ी रोटी छीनी नहीं जानी चाहिए।
3. सरकार को संदेश देना चाहिए।
जनता को दिखना चाहिए कि कानून सबके लिए बराबर है।
Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc मेरठ की यह घटना एक बड़ी सीख है। यहाँ सवाल सिर्फ बीजेपी पार्षद उत्तम सैनी या विधायक अमित अग्रवाल का नहीं है। यहाँ सवाल है, कि क्या हमारा लोकतंत्र सबको बराबर मानता है?
जब तक पुलिस नेताओं पर उतनी ही सख्ती नहीं दिखाएगी जितनी आम जनता पर दिखाती है, तब तक लोगों का भरोसा कानून से उठता रहेगा।
यह घटना सिर्फ मेरठ की नहीं बल्कि पूरे तंत्र की परीक्षा है।
क्या पुलिस सच में संविधान की रक्षा करेगी या फिर नेताओं की ढाल बनकर काम करेगी?
Uttar Pradesh Politics Meerut Violenc डिस्क्लेमर
यह लेख मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया वीडियो पर आधारित है। पुलिस जांच जारी है,और अंतिम निष्कर्ष आने तक किसी भी व्यक्ति को दोषी मानना उचित नहीं होगा।
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