harvard-antisemitism-protest-2025/हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर ट्रंप का हमला: $2.2 बिलियन फंड पर ताला, एंटीसेमिटिज़्म के खिलाफ छात्र आंदोलन तेज़

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harvard-antisemitism-protest-2025 हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर ट्रंप का हमला: $2.2 बिलियन फंड पर ताला, एंटीसेमिटिज़्म के खिलाफ छात्र आंदोलन तेज़

harvard-antisemitism-protest-2025 हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में यहूदी छात्रों के खिलाफ बढ़ती एंटीसेमिटिज़्म घटनाओं को लेकर छात्रों ने बड़ा प्रदर्शन किया। इस बीच ट्रंप ने यूनिवर्सिटी के $2.2 बिलियन फंड को फ्रीज़ करने की मांग की। जानिए पूरी घटना।

harvard-antisemitism-protest-2025 हार्वर्ड में एंटीसेमिटिज़्म के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन
हार्वर्ड में एंटीसेमिटिज़्म के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटीसेमिटिज़्म के खिलाफ छात्रों का आंदोलन तेज हो गया है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूनिवर्सिटी के $2.2 बिलियन फंड को फ्रीज़ करने की मांग कर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। यह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटीसेमिटिज़्म को लेकर एक गंभीर मुद्दा बन गया है, जो अब राजनीतिक और शैक्षणिक दोनों स्तरों पर चर्चा का केंद्र बन गया है। छात्रों ने “Harvard Against Antisemitism” के नाम से प्रदर्शन शुरू किया है, जबकि ट्रंप का दावा है कि यूनिवर्सिटी यहूदी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है। आइए, इस घटना की परतों को विस्तार से समझते हैं।

harvard-antisemitism-protest-2025 ट्रंप का बयान: फंड पर ताला क्यों लगाया गया?

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बयान में कहा कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटीसेमिटिज़्म तेजी से बढ़ रहा है और यूनिवर्सिटी प्रशासन इसे रोकने में नाकाम रहा है। इसी आधार पर उन्होंने $2.2 बिलियन के फंड पर “ताला लगाने” की मांग की है। ट्रंप का कहना है, “अगर हार्वर्ड अपने छात्रों को सुरक्षित नहीं रख सकता, तो उसे फंड देने का कोई मतलब नहीं।” यह बयान 14 अप्रैल 2025 को सामने आया और अमेरिका सहित पूरी दुनिया में हलचल मचा दी। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि हार्वर्ड ने पिछले साल गाजा युद्ध के दौरान यहूदी विरोधी गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं रखा, जिसके चलते यह कदम उठाया गया।

एंटीसेमिटिज़्म क्या है और हार्वर्ड में कैसे बढ़ा?

एंटीसेमिटिज़्म यहूदियों के खिलाफ भेदभाव, घृणा या हिंसा को संदर्भित करता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटीसेमिटिज़्म की घटनाएं पिछले 6 महीनों में 40% बढ़ी हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह वृद्धि 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजरायल पर हमले के बाद शुरू हुई, जिसके बाद कैंपस में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों ने तनाव बढ़ाया। इन प्रदर्शनों के दौरान यहूदी छात्रों को निशाना बनाया गया, जिससे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटीसेमिटिज़्म एक ज्वलंत मुद्दा बन गया।

छात्रों का प्रदर्शन: “Harvard Against Antisemitism”

हार्वर्ड के छात्रों ने “Harvard Against Antisemitism” नाम से एक शक्तिशाली आंदोलन शुरू किया है। 14 अप्रैल 2025 को, लगभग 500 से अधिक छात्रों ने हार्वर्ड स्क्वायर, कैंब्रिज में प्रदर्शन किया। वे इजरायली झंडे और पोस्टर लेकर कैंपस में उतरे, जिसमें स्लोगन जैसे “हम चुप नहीं बैठेंगे” लिखा था। सोशल मीडिया पर #HarvardAgainstAntisemitism ट्रेंड कर रहा है, जहां छात्र अपनी मांगों को जोरदार तरीके से उठा रहे हैं।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रतिक्रिया harvard-antisemitism-protest-2025

हार्वर्ड प्रशासन ने एक बयान जारी कर कहा कि वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटीसेमिटिज़्म के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाते हैं। हालांकि, छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने कहा कि वे भेदभाव को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव को स्वीकार नहीं करेंगे।

पॉलिटिकल बैकड्रॉप और ट्रंप की रणनीति

ट्रंप अपने आगामी चुनावी अभियान में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटीसेमिटिज़्म जैसे मुद्दों को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। harvard-antisemitism-protest-2025 उनकी रणनीति यहूदी समुदाय और शिक्षा से जुड़े अभिभावकों को संबोधित करना है, जिससे उन्हें राजनीतिक समर्थन मिल सके। यह कदम उनके “मेरिट-आधारित” शिक्षा नीति और विविधता कार्यक्रमों (DEI) के खिलाफ रुख को भी दर्शाता है।

फंड फ्रीज़ का असर: रिसर्च, छात्रवृत्ति और फैकल्टी

$2.2 बिलियन के फंड पर ताला लगने से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है। इसका असर निम्नलिखित क्षेत्रों पर पड़ेगा:

  • छात्रवृत्तियाँ: हज़ारों छात्रों की स्कॉलरशिप खतरे में पड़ सकती है।

  • रिसर्च फंडिंग: साइंस और मेडिकल रिसर्च परियोजनाएं रुक सकती हैं।

  • फैकल्टी पेमेंट: प्रोफेसरों की सैलरी और नई नियुक्तियों पर असर होगा। यह कदम हार्वर्ड की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी चुनौती दे सकता है।

सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर #HarvardAgainstAntisemitism ट्रेंड कर रहा है, जहां दो खेमे साफ दिखाई देते हैं। harvard-antisemitism-protest-2025 कुछ यूजर्स ट्रंप के फैसले का समर्थन कर रहे हैं, कहते हैं, “ट्रंप सही हैं, कार्रवाई ज़रूरी है।” वहीं, अन्य का मानना है, “शिक्षा को राजनीति से दूर रखना चाहिए।” यह बहस तेजी से बढ़ रही है।

शिक्षा या राजनीति का अखाड़ा?

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटीसेमिटिज़्म को लेकर शुरू हुआ यह आंदोलन अब अमेरिकी राजनीति का एक बड़ा मुद्दा बन गया है। ट्रंप का फंड फ्रीज़ करने का कदम शिक्षा को राजनीतिक अखाड़े में बदलने की ओर इशारा करता है। सवाल यह है कि क्या हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटीसेमिटिज़्म को नियंत्रित करने के लिए यह सही रास्ता है, या यह केवल एक चुनावी चाल है? आने वाले दिनों में इसकी दिशा स्पष्ट होगी । 

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