Gorakhpur Police Mission Shakti थाना तिवारीपुर पुलिस की तत्परता से एक परिवार में लौटी मुस्कान
Gorakhpur Police Mission Shakti गोरखपुर थाना तिवारीपुर पुलिस की मिशन शक्ति टीम ने 12 वर्षीय बच्ची लक्ष्मी को कुछ ही घंटों में बरामद कर परिजनों को सौंप दिया। प्रभारी पंकज सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने संवेदनशीलता और तत्परता का उदाहरण पेश किया।
गोरखपुर जिले के थाना तिवारीपुर क्षेत्र से लापता हुई 12 वर्षीय बच्ची लक्ष्मी पुत्री शशि कपूर को पुलिस ने कुछ ही घंटों में सकुशल बरामद कर परिवार को सौंप दिया।
Gorakhpur Police Mission Shakti यह सफलता मिशन शक्ति फेज-5.0 अभियान के तहत पुलिस की तेज़ कार्रवाई का परिणाम है। बच्ची की बरामदगी ने न केवल परिवार की चिंता दूर की, बल्कि एक बार फिर साबित कर दिया कि गोरखपुर पुलिस समाज की सुरक्षा के लिए दिन रात तत्पर है।
लापता होने की सूचना और परिवार की व्यथा
8 अक्टूबर 2025 की सुबह करीब 9:45 बजे, तिवारीपुर थाना क्षेत्र के मोहनलालपुर स्टेशन के सामने रहने वाले शशि कपूर काम पर निकले थे।
घर लौटने पर उनकी पत्नी रश्मि देवी ने बताया कि उनकी बेटी लक्ष्मी अचानक बिना बताए घर से कहीं चली गई है।
रश्मि देवी ने पुलिस को बताया कि
“लक्ष्मी पहले भी कई बार घर से भाग चुकी है। वो पढ़ी-लिखी नहीं है और मानसिक रूप से भी कमजोर है। हमारे पास कोई मोबाइल फोन नहीं था, इसलिए हम खुद उसे खोज नहीं पाए।”
परिवार की यह जानकारी मिलते ही डायल 112 के माध्यम से थाना तिवारीपुर पुलिस को सूचना दी गई।
Gorakhpur Police Mission Shakti एसपी और मिशन शक्ति टीम की त्वरित कार्रवाई
पुलिस अधीक्षक नगर गोरखपुर के निर्देशन में और अपर पुलिस अधीक्षक अपराध के मार्गदर्शन में,
क्षेत्राधिकारी कोतवाली के आदेशानुसार थाना तिवारीपुर के प्रभारी निरीक्षक श्री पंकज कुमार सिंह ने तत्काल एक विशेष मिशन शक्ति टीम गठित की।
टीम में शामिल अधिकारी:
1. उप निरीक्षक अनिषा गौतम, महिला सुरक्षा अधिकारी थाना तिवारीपुर
2. उप निरीक्षक गति यादव, थाना तिवारीपुर
3. हेड कांस्टेबल मनीष कुमार मिश्रा, थाना तिवारीपुर
4. कांस्टेबल सोनू सरोज साईनाथ, थाना तिवारीपुर
इन सभी ने बिना समय गंवाए क्षेत्र में लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू की।
वीडियो में लक्ष्मी को अकेले पैदल रेलवे ट्रैक की ओर जाते हुए देखा गया।
रेलवे ट्रैक किनारे से मिली बच्ची, पुलिस ने दिखाई संवेदनशीलता
लगातार तलाश के बाद मिशन शक्ति टीम को सफलता हाथ लगी।
टीम ने लक्ष्मी को धमशाला रेलवे ट्रैक के किनारे से सकुशल बरामद किया।
बच्ची से पूछताछ में उसने मासूमियत से बताया
“मम्मी ने मुझे डांटा था, इसलिए मैं स्टेशन की तरफ चली गई थी।”
टीम ने बच्ची को प्यार से समझाया और उसे लेकर थाना तिवारीपुर पहुंची,
जहां माता-पिता को बुलाकर पहचान कराई गई।
लक्ष्मी ने अपने माता-पिता को पहचान लिया और रोते हुए उनसे लिपट गई।
मां-बाप की आंखों से खुशी के आंसू झर पड़े।
Gorakhpur Police Mission Shakti थाना प्रभारी का मानवीय रवैया मिशन शक्ति का असली चेहरा
थाना प्रभारी निरीक्षक पंकज कुमार सिंह ने कहा
“हमारा पहला कर्तव्य नागरिकों की सुरक्षा है, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की।
मिशन शक्ति का उद्देश्य ही यह है,कि हर बेटी सुरक्षित घर लौटे।”
पुलिस टीम ने न केवल बच्ची को खोजने में तत्परता दिखाई,
बल्कि उसके मानसिक हालात को समझते हुए बेहद संवेदनशील रवैया अपनाया।
थाने में मौजूद सभी पुलिसकर्मियों ने बच्ची को बिस्कुट और पानी दिया,
और उसे समझाया कि घर छोड़कर जाना कितना खतरनाक हो सकता है।
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Gorakhpur Police Mission Shakti परिवार और मोहल्ले में खुशी की लहर
लक्ष्मी के सकुशल मिलने की खबर मिलते ही
मोहनलालपुर स्टेशन क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई।
स्थानीय लोगों ने तिवारीपुर पुलिस टीम की प्रशंसा करते हुए कहा
“अगर पुलिस इतनी तेजी से कार्रवाई न करती, तो बच्ची का पता लगाना मुश्किल होता।”
परिवार ने गोरखपुर पुलिस और मिशन शक्ति टीम का आभार जताया,
और बच्ची को अपने घर लेकर लौट गया।
Gorakhpur Police Mission Shakti मिशन शक्ति गोरखपुर पुलिस की एक मिसाल
गोरखपुर पुलिस की “मिशन शक्ति फेज 5.0” टीम लगातार महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए
संवेदनशील और सक्रिय भूमिका निभा रही है।
यह मामला सिर्फ एक बरामदगी नहीं, बल्कि
जनता के भरोसे और पुलिस के समर्पण का उदाहरण है।
लक्ष्मी की सुरक्षित वापसी ने यह साबित कर दिया कि
जब कानून, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी एक साथ आते हैं,
तो हर परिवार में विश्वास और मुस्कान लौट आती है।
थाना तिवारीपुर पुलिस ने यह दिखाया कि
“मिशन शक्ति” सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक भावनात्मक कर्तव्य है।
Disclaimer:
Gorakhpur Police Mission Shakti यह लेख गोरखपुर पुलिस विभाग द्वारा जारी प्रेस नोट और प्रत्यक्ष सूत्रों पर आधारित है।
इसका उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाना और पुलिस के सकारात्मक कार्यों को सराहना देना है।
इसमें किसी व्यक्ति या संस्था को आहत करने का कोई प्रयोजन नहीं है।
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