नागपुर में सोमवार, 17 मार्च 2025 को मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी। दक्षिणपंथी संगठनों, विशेष रूप से विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने महाल गांधी गेट परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने औरंगजेब का पुतला जलाया। इस दौरान यह अफवाह फैली कि प्रदर्शनकारियों ने एक धार्मिक ग्रंथ का अपमान किया है, जिससे तनाव बढ़ गया।
तनाव के बीच महाल, किसमिस पार्क और गणेशपेट इलाकों में दो गुटों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं। उपद्रवियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। इस हिंसा में एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हुए हैं।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया है और धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा जारी की है। अब तक 55 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागरिकों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।
इस घटना ने शहर में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है, और प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है। प्रशासन ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और शांति बनाए रखने की अपील की है। पुलिस अब हिंसा में शामिल लोगों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए काम कर रही है।
विवाद की शुरुआत:
मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। सोमवार सुबह नागपुर के महाल क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास इन संगठनों ने औरंगजेब का पुतला जलाया। इस दौरान कुछ संगठनों ने प्रतीकात्मक रूप से औरंगजेब की ‘कब्र’ का दहन किया।
हिंसा का प्रसार:
प्रदर्शन के दौरान इस्तेमाल की गई चादर को लेकर विवाद खड़ा हो गया, क्योंकि मुस्लिम समुदाय का दावा था कि उस चादर में धार्मिक बातें लिखी थीं, जिससे उनकी भावनाएं आहत हुईं। इसके चलते मुस्लिम समुदाय के लोग महाल क्षेत्र में शिवाजी प्रतिमा के सामने इकट्ठा हुए और विरोध प्रदर्शन किया। शाम होते-होते दो गुटों के बीच स्थिति बिगड़ गई, जिससे झड़पें हुईं। उपद्रवियों ने कई वाहनों में आग लगा दी, दुकानों में तोड़फोड़ की, और पुलिस पर पथराव किया, जिसमें 25 से 30 पुलिसकर्मी घायल हुए।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया और लाठीचार्ज किया। हिंसा के बाद नागपुर के कई इलाकों—कोतवाली, गणेशपेठ, लकड़गंज, पचपाओली, शांतिनगर, शक्करदारा, नंदनवन, इमामवाड़ा, यशोधरानगर और कपिलनगर—में कर्फ्यू लगा दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163 लागू की गई है, जिसके तहत बिना जरूरी काम के घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है।
नेताओं की अपील:
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर के लोगों से शांति बनाए रखने और कानून का पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं शहर की शांति और सद्भाव को बिगाड़ती हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर पुलिस कमिश्नर रविंद्र सिंघल से बात की और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
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