हमीरपुर में एक Pregnant woman को खराब सड़क के कारण बैलगाड़ी से एंबुलेंस तक ले जाना पड़ा। एंबुलेंस गाँव नहीं पहुँच सकी। घटना ने विकास के दावों की पोल खोल दी और ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े किए।
जब सड़क नहीं बनी, तो उम्मीद ने बैलगाड़ी का रूप ले लिया
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर (Hamirpur) ज़िले से दिल को छू लेने वाली तस्वीर सामने आई है।
एक Pregnant woman को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल ले जाना था, लेकिन गाँव तक जाने वाली सड़क इतनी खराब थी कि एंबुलेंस वहाँ तक नहीं पहुँच पाई।
परिवार ने हार नहीं मानी उन्होंने महिला को बैलगाड़ी पर बिठाया और किसी तरह एंबुलेंस तक पहुँचाया। यह दृश्य देखकर हर कोई यही कह रहा है,कि यह “नई सदी का नहीं, पुरानी मजबूरी का भारत” है। यह घटना बताती है, कि जब सिस्टम जवाब दे देता है, तब Pregnant woman जैसी ज़रूरतमंद महिलाओं की जान सिर्फ परिवार की हिम्मत पर टिकी रहती है।
हमीरपुर की सच्चाई: विकास कागज़ों पर, हकीकत धूल में

हमीरपुर का यह मामला कोई अपवाद नहीं है। ग्रामीण इलाकों में अब भी कई सड़कें ऐसी हैं,जहाँ बारिश में कीचड़ और गर्मी में दरारें भर जाती हैं। गर्भवती महिला के लिए समय पर अस्पताल पहुँचना यहाँ एक संघर्ष जैसा है। स्थानीय लोगों का कहना है,कि वर्षों से सड़क निर्माण की माँग हो रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं।
जब तक प्रशासन हर गाँव को एंबुलेंस से जोड़ने की जिम्मेदारी नहीं निभाएगा, तब तक गर्भवती महिला को इस तरह की तकलीफ़ें झेलनी पड़ेंगी।
स्वास्थ्य सेवाओं की असली तस्वीर: Pregnant woman के लिए जंग जैसी स्थिति
भारत में मातृ स्वास्थ्य (maternal healthcare) की स्थिति आज भी चिंताजनक है। सरकार की योजनाएँ जैसे “जननी सुरक्षा योजना” और “प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान” हैं, लेकिन इनका लाभ हर गर्भवती महिला तक नहीं पहुँच पाता।
हमीरपुर की यह घटना इस बात की साक्षी है, कि जब सड़कें टूटी हों और एंबुलेंस रास्ते में फँसी हो, तो Pregnant woman की जिंदगी पर संकट आ जाता है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क और स्वास्थ्य सेवाएँ सुधर जाएँ, तो गर्भवती महिला और नवजात दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

प्रशासन पर सवाल: कब सुधरेगी व्यवस्था?
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं,कि आखिर कब तक गर्भवती महिला को बैलगाड़ी या ठेले में अस्पताल ले जाना पड़ेगा? क्या विकास सिर्फ शहरों तक सीमित रह गया है?
लोगों का कहना है, कि Pregnant woman जैसी आपात स्थिति में भी अगर एंबुलेंस नहीं पहुँच पा रही, तो यह स्वास्थ्य प्रणाली की असफलता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
प्रशासन को चाहिए कि वह ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों और एंबुलेंस सेवाओं को तत्काल प्राथमिकता दे।
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भारत के गाँवों को सड़कों से जोड़ना ही असली विकास है
भारत का असली चेहरा गाँवों में बसता है। अगर वही गाँव टूटी सड़कों और बीमार स्वास्थ्य प्रणाली से जूझ रहे हों, तो विकास के सारे दावे बेकार हैं।
हमीरपुर की यह Pregnant woman सिर्फ एक महिला नहीं, बल्कि उस भारत की आवाज़ है,जहाँ उम्मीदें अब भी जिंदा हैं।
जब तक हर गाँव तक एंबुलेंस नहीं पहुँचेगी, तब तक “विकास” का अर्थ अधूरा रहेगा। सरकार को यह समझना होगा कि किसी Pregnant woman को अस्पताल तक पहुँचाने के लिए बैलगाड़ी का सहारा लेना “मजबूरी” नहीं, “नीतियों की नाकामी” है।
Disclaimer इस लेख का उद्देश्य किसी सरकार या व्यक्ति की आलोचना करना नहीं है। इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य और सड़क सुविधाओं की हकीकत को उजागर करना है, ताकि हर Pregnant woman को समय पर चिकित्सा सुविधा मिल सके। सभी तथ्य सार्वजनिक रिपोर्टों और मीडिया स्रोतों पर आधारित हैं।

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