Gorakhpur driver Manoj murder case गोरखपुर: ड्राइवर मनोज की संदिग्ध मौत ने उठाए सवाल, कोर्ट के आदेश पर हत्या का मुकदमा दर्ज
Gorakhpur driver Manoj murder case गोरखपुर के गुलरिहा क्षेत्र में ड्राइवर मनोज की संदिग्ध मौत का मामला नौ महीने बाद सुर्खियों में आया। कोर्ट के आदेश पर आठ आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज, पुलिस की निष्क्रियता पर उठे सवाल।
गोरखपुर के गुलरिहा क्षेत्र में दिसंबर 2024 में हुई ड्राइवर मनोज की संदिग्ध मौत का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। नौ महीने तक पुलिस कार्रवाई न होने के बाद पीड़ित परिवार की गुहार पर अदालत ने हस्तक्षेप किया और आठ आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। इस घटनाक्रम ने पुलिस की निष्क्रियता और न्याय की देरी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
Gorakhpur driver Manoj murder case घटना का पूरा विवरण

21 दिसंबर 2024 की शाम लगभग साढ़े छह बजे सराय गुलरिहा निवासी 41 वर्षीय मनोज, जो पेशे से मैजिक वाहन चालक थे, अपने वाहन से महराजगंज की ओर जा रहे थे। रास्ते में गुलरिहा बाजार नहर के पास एक बाइक को बचाने के प्रयास में उनका वाहन दूसरी दोपहिया गाड़ी से टकरा गया। यह मामूली हादसा जल्द ही बड़ी वारदात में बदल गया।
आरोप है,कि टक्कर लगने के बाद बाइक के मालिक सुमीत, सुजीत, आलोक और उनके साथ चार–पांच अन्य लोगों ने मनोज को वाहन से जबरन खींचकर पीटना शुरू कर दिया। पीड़ित की पत्नी सिब्बी देवी का कहना है,कि भीड़ ने उनके पति को इतनी बेरहमी से मारा कि उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
अगली सुबह 22 दिसंबर को मनोज का शव उनके ही मैजिक वाहन की डिग्गी (ट्रंक) में संदिग्ध हालत में मिला। घटना स्थल से कुछ दूरी पर खून के धब्बे और गवाहों के बयान इस बात की पुष्टि करते हैं,कि यह कोई सामान्य हादसा नहीं, बल्कि सुनियोजित हमला था।
परिवार का आरोप और पुलिस की निष्क्रियता
Gorakhpur driver Manoj murder case पीड़िता सिब्बी देवी ने बताया कि घटना की सूचना तत्काल पुलिस को दी गई, लेकिन स्थानीय थाना स्तर से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक किसी ने भी सख्त कार्रवाई नहीं की। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बावजूद पुलिस ने मामला संदिग्ध मौत बताकर फाइल दबा दी।
परिवार ने आरोप लगाया कि प्रभावशाली लोगों के दबाव में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की। यह स्थिति न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है,कि आखिर गरीब परिवारों की सुनवाई इतनी देर से क्यों होती है।
Gorakhpur driver Manoj murder caseअदालत का हस्तक्षेप और केस दर्ज
जब परिवार की लगातार गुहार अनसुनी रही तो उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए आठ आरोपियों के खिलाफ धारा 302 (हत्या) के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
इसके बाद गुलरिहा थाने की पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन नामजद और पांच अज्ञात आरोपियों को केस में शामिल किया। फिलहाल पुलिस टीम जांच में जुटी है, और कहा जा रहा है,कि CCTV फुटेज और गवाहों के बयान इस केस को मजबूती देंगे।
Gorakhpur driver Manoj murder case समाज में गूंज और सवाल
गोरखपुर में यह घटना चर्चा का विषय बन चुकी है। लोगों का कहना है,कि अगर पुलिस ने शुरुआत में ही कड़ी कार्रवाई की होती तो आरोपियों के खिलाफ समय पर न्याय मिल सकता था।
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है,कि आए दिन सड़क हादसों या छोटी-मोटी कहासुनी के बाद मारपीट की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस मामले ने कानून-व्यवस्था पर भरोसे को झटका दिया है।
Gorakhpur driver Manoj murder case पुलिस और प्रशासन का पक्ष
कोर्ट के आदेश के बाद गुलरिहा पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया जारी है, और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। वरिष्ठ अधिकारियों का दावा है,कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें बनाई गई हैं,और जल्द ही मामले का पर्दाफाश होगा।
Gorakhpur driver Manoj murder case पीड़ित परिवार की हालत
मनोज अपने परिवार के इकलौते सहारे थे। उनकी पत्नी और दो छोटे बच्चों का जीवन अचानक मुश्किलों से घिर गया है। पत्नी सिब्बी देवी का कहना है,कि उन्हें सिर्फ न्याय ही नहीं, बल्कि आर्थिक मदद की भी आवश्यकता है। स्थानीय संगठनों ने परिवार को समर्थन देने की मांग की है।
Gorakhpur driver Manoj murder case गोरखपुर की यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि कानून-व्यवस्था पर भी गहरी चोट है। अदालत के हस्तक्षेप से दर्ज हुआ मुकदमा न्याय की दिशा में एक कदम है, लेकिन सवाल यह है कि गरीब और आम लोगों को न्याय के लिए इतनी लंबी लड़ाई क्यों लड़नी पड़ती है।
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