Lucknow fraud case फ्लैट दिलाने के नाम पर लखनऊ में दारोगा समेत चार पुलिसकर्मियों से ठगी, आरोपी ललित तिवारी पर FIR रकम को लेकर जांच में चौंकाने वाला खुलासा
Lucknow fraud case लखनऊ में दारोगा समेत चार पुलिसकर्मियों से फ्लैट दिलाने के नाम पर ठगी का बड़ा मामला सामने आया है। आरोपी ललित तिवारी ने लाखों रुपये ऐंठे, रकम को लेकर जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
Lucknow fraud case लखनऊ, 14 सितंबर 2025: राजधानी लखनऊ में पुलिस विभाग के चार अधिकारियों को ही ठगी का शिकार बना लिया गया। गोमतीनगर विस्तार इलाके में हुए इस सनसनीखेज मामले में एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) में फ्लैट दिलाने का झांसा देकर एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) में तैनात एक दारोगा समेत कुल चार पुलिसकर्मियों से लाखों रुपये वसूल लिए गए।
पुलिस की प्रारंभिक जांच में आरोपी की पहचान ललित तिवारी के रूप में हुई है। उस पर आरोप है,कि उसने एलडीए में “सस्ते दाम पर पक्का फ्लैट” दिलाने का झांसा देकर भरोसा जीता और फिर रजिस्ट्रेशन/सत्यापन के नाम पर मोटी रकम वसूली।
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पीड़ित पुलिसकर्मियों ने भरोसा करते हुए रकम सौंप दी। जब तय समय पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो शक गहराने लगा। उन्होंने खुद एलडीए कार्यालय में जाकर जानकारी ली। वहां उन्हें पता चला कि न तो उनके नाम पर कोई फ्लैट आवंटित हुआ है और न ही रजिस्ट्रेशन की कोई प्रक्रिया शुरू हुई।
यही से धोखाधड़ी की असली कहानी सामने आई।
Lucknow fraud case रकम को लेकर विरोधाभास: ₹1.14 लाख या ₹36.40 लाख?
इस मामले की सबसे बड़ी गुत्थी रकम को लेकर है।
जागरण और कुछ अन्य पोर्टलों की रिपोर्ट के अनुसार, चारों पुलिसकर्मियों से आरोपी ने कुल ₹1.14 लाख वसूले।
वहीं लाइव हिंदुस्तान और कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में यह रकम कहीं ज्यादा यानी ₹36.40 लाख बताई गई है।
Lucknow fraud case अधिकारियों का कहना है,कि जांच के दौरान रकम का सही हिसाब-किताब और ट्रांजैक्शन की डिटेल सामने आएगी। फिलहाल, एफआईआर में प्रारंभिक रूप से ₹1.14 लाख का जिक्र किया गया है, लेकिन आशंका है, कि आरोपी ने इसी तरह अन्य लोगों को भी शिकार बनाया होगा।
आरोपी कौन है? ललित तिवारी का नाम आया सामने
पुलिस जांच में जिस व्यक्ति का नाम सामने आया है, वह है ललित तिवारी।
बताया जाता है, कि ललित पहले से ही ऐसे नेटवर्क से जुड़ा हुआ था, जो एलडीए और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के नाम पर भोले-भाले लोगों को फंसाते हैं।
उसने पुलिसकर्मियों को यह कहकर झांसा दिया कि एलडीए में “इनसाइड कनेक्शन” है, और जल्दी ही फ्लैट का रजिस्ट्रेशन करवा देगा।
पीड़ितों ने उसके कहने पर एडवांस रकम भी दे दी।
Lucknow fraud case दारोगा और पुलिसकर्मी बने शिकार
सबसे चौंकाने वाली बात यह है,कि इस बार ठगी का शिकार कोई आम नागरिक नहीं बल्कि खुद पुलिस विभाग के लोग बने।
इनमें एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) में तैनात एक दारोगा शामिल है।
बाकी तीन पीड़ित भी पुलिस विभाग से जुड़े बताए जा रहे हैं।
हालांकि गोपनीयता और सुरक्षा कारणों से उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन पुलिस महकमे में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है।
Lucknow fraud case पुलिस की कार्रवाई FIR दर्ज, जांच जारी
मामला सामने आते ही पीड़ित पुलिसकर्मियों ने इसकी शिकायत की।
डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए।
इसके बाद गोमतीनगर विस्तार थाने में आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई।
थाना प्रभारी सुधीर कुमार अवस्थी के अनुसार, “जांच चल रही है। बैंक ट्रांजैक्शन, मोबाइल कॉल डिटेल और आरोपी की गतिविधियों की पड़ताल की जा रही है। जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।”
Lucknow fraud case तारीखवार घटनाक्रम
अगस्त 2025 की शुरुआत: आरोपी ललित तिवारी ने पुलिसकर्मियों को फ्लैट दिलाने का प्रस्ताव दिया।
अगस्त के अंतिम सप्ताह: रजिस्ट्रेशन और बुकिंग के नाम पर रकम वसूली गई।
सितंबर 2025 का पहला सप्ताह: तय समय पर कोई रजिस्ट्रेशन न होने पर पीड़ितों ने एलडीए से संपर्क किया और ठगी का पता चला।
10 सितंबर 2025: पीड़ितों ने मामले की शिकायत डीसीपी पूर्वी से की।
12 सितंबर 2025: गोमतीनगर विस्तार थाने में एफआईआर दर्ज हुई और जांच शुरू की गई।
14 सितंबर 2025: मामला मीडिया में उजागर हुआ और पूरे प्रदेश में सुर्खियाँ बटोरी।
Lucknow fraud case पुलिस विभाग में मचा हड़कंप
चूंकि ठगी का शिकार खुद पुलिस विभाग के लोग हुए हैं, इसलिए यह घटना और भी संवेदनशील बन गई है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि इससे पुलिस की “इमेज” पर भी सवाल उठ रहा है,कि जब खुद पुलिसवाले ही ऐसे जालसाजों के चंगुल में फँस सकते हैं, तो आम जनता कितनी असुरक्षित होगी।
बड़ा सवाल आम जनता कैसे बचे?
यह घटना सिर्फ पुलिसकर्मियों तक सीमित नहीं है। यह उन हजारों लोगों के लिए चेतावनी है,जो सस्ते फ्लैट और सरकारी प्रोजेक्ट्स के नाम पर लालच में आ जाते हैं।
एलडीए और अन्य सरकारी एजेंसियों ने पहले भी कई बार चेतावनी जारी की है कि “कोई भी रकम सीधे किसी एजेंट को न दें, बल्कि सिर्फ आधिकारिक पोर्टल या बैंक खाते के जरिए ही भुगतान करें।”
मगर फिर भी कई लोग दलालों के झांसे में आ जाते हैं।
नतीजा और आगे की राह
इस केस ने साफ कर दिया है कि ठगी का जाल सिर्फ आम नागरिकों तक सीमित नहीं है, बल्कि अब यह पुलिस महकमे तक पहुंच चुका है।
पुलिस ने आरोपी ललित तिवारी की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी हैं।
जांच में और भी पीड़ित सामने आ सकते हैं।
रकम का असली खुलासा भी तभी होगा जब सभी लेन-देन की पूरी जानकारी सामने आएगी।
निष्कर्ष
“फ्लैट दिलाने के नाम पर ठगी” का यह मामला समाज और पुलिस दोनों के लिए बड़ा सबक है।
यह दर्शाता है,कि आज के समय में अपराधी किस तरह से सरकारी सिस्टम का नाम लेकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
पुलिस विभाग के लिए यह डबल चैलेंज है, एक तरफ अपने ही कर्मचारियों की ठगी की भरपाई करनी है,और दूसरी तरफ जनता का विश्वास भी बनाए रखना है।
आने वाले दिनों में यह केस किस दिशा में जाएगा, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन इतना तय है,कि आरोपी ललित तिवारी का नेटवर्क छोटा नहीं है। जांच में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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