cyber fraud in Gorakhpur गोरखपुर में साइबर ठगी का शिकार बने अंबिका प्रसाद, पुलिस ने दिलाए ₹90,000 वापस

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cyber fraud in Gorakhpur गोरखपुर में साइबर ठगी का शिकार बने अंबिका प्रसाद, पुलिस ने दिलाए ₹90,000 वापस

cyber fraud in Gorakhpur गोरखपुर। आज के डिजिटल युग में जहां ऑनलाइन लेन-देन ने जिंदगी आसान बनाई है, वहीं साइबर अपराधी भी लगातार लोगों को निशाना बना रहे हैं। ताजा मामला गोरखपुर जिले के बड़हलगंज थाना क्षेत्र के बुढ़नपुरा गांव का है, जहां एक ग्रामीण अंबिका प्रसाद मौर्य ठगी का शिकार हो गए। हालांकि उनकी सूझबूझ और पुलिस की तत्परता ने मिलकर ठगों को पूरी तरह सफल नहीं होने दिया और अंततः पीड़ित को ₹90,000 की राशि वापस मिल गई।

यह घटना एक ओर जहां साइबर अपराध के खतरों को उजागर करती है, वहीं यह भी साबित करती है,कि सही समय पर सूचना देने से पीड़ित अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं।

कैसे हुआ ठगी का शिकार? cyber fraud in Gorakhpur

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cyber fraud in Gorakhpur
सोर्स बाय गूगल इमेज

मामला 9 जून 2025 का है। बुढ़नपुरा गांव निवासी अंबिका प्रसाद मौर्य के पास एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया। बातचीत के दौरान कॉलर ने खुद को बैंक या वित्तीय संस्था का कर्मचारी बताकर उन्हें भ्रमित किया। जालसाज ने चालाकी से बातों में उलझाकर उनसे ₹1 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करवा लिए।

ठगी का एहसास होते ही अंबिका प्रसाद के होश उड़ गए। उन्होंने तुरंत कोतवाली पुलिस और साइबर सेल को सूचना दी। यह त्वरित सूचना ही उनके लिए जीवनदायिनी साबित हुई, क्योंकि इसी की बदौलत पुलिस रकम को होल्ड कराने में सफल रही।

पुलिस और साइबर टीम की त्वरित कार्रवाई

सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और साइबर क्राइम टीम की मदद से राष्ट्रीय साइबर पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। ठगी गई राशि को ट्रैक करने के बाद पुलिस ने संबंधित बैंक से संपर्क किया और ₹90,000 रुपये होल्ड करा दिए।

बाद में कोर्ट की अनुमति मिलने पर यह रकम सीधे पीड़ित अंबिका प्रसाद मौर्य के बैंक खाते में वापस करा दी गई।

थानाध्यक्ष चंद्रभान सिंह का बयान cyber fraud in Gorakhpur

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कोतवाली के थानाध्यक्ष चंद्रभान सिंह ने बताया कि यह मामला पुलिस और जनता के बीच तालमेल का बेहतरीन उदाहरण है।

उन्होंने कहा

“अगर पीड़ित तत्काल सूचना न देता तो रकम वापस मिलना लगभग असंभव हो जाता। ऐसे मामलों में समय ही सबसे बड़ा हथियार है। हमारी टीम ने साइबर सेल और बैंक से तालमेल कर कार्रवाई की और अंततः पीड़ित को राहत दिलाने में सफल रहे।”

थानाध्यक्ष ने साथ ही यह भी कहा कि आम नागरिकों को जागरूक रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

ठगी का शिकार बनने के बाद पीड़ित का अनुभव

अंबिका प्रसाद मौर्य ने राहत की सांस लेते हुए कहा कि शुरुआत में उन्हें लगा कि ऐसा लगा पूरी रकम चली गई। मेरा परिवार बेहद परेशान था। लेकिन जैसे ही पुलिस और साइबर सेल से मदद मिली और ₹90,000 वापस खाते में आए, उनका भरोसा और विश्वास पुलिस व्यवस्था पर और भी मजबूत हुआ।

उन्होंने कहा

“मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि अगर कभी ऐसा कुछ हो तो तुरंत पुलिस को बताएं। डर या शर्म के कारण चुप रहने से केवल अपराधी ही मजबूत होते हैं।”

क्यों जरूरी है सतर्क रहना? cyber fraud in Gorakhpur

गोरखपुर में यह कोई पहला मामला नहीं है। हाल के वर्षों में जिले में साइबर ठगी के मामलों में लगातार इजाफा हुआ है। कभी OTP शेयर करवाकर, कभी लिंक भेजकर, तो कभी फर्जी कस्टमर केयर नंबर के जरिए अपराधी भोले-भाले लोगों को ठग रहे हैं।

पुलिस आंकड़ों के अनुसार, केवल पिछले एक साल में गोरखपुर जिले से सैकड़ों साइबर ठगी की शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें से कई मामलों में रकम वापस कराई गई, लेकिन कुछ में देर से सूचना देने के कारण सफलता नहीं मिल पाई।

साइबर अपराध से बचने के टिप्स cyber fraud in Gorakhpur

इस घटना के बाद पुलिस ने जनता से साइबर अपराध से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण सलाह भी दी हैं:

1. OTP किसी के साथ साझा न करें चाहे कॉल करने वाला खुद को बैंक कर्मचारी बताए।

2. अजनबी लिंक पर क्लिक न करें यह आपके फोन से पूरी जानकारी निकाल सकता है।

3. शिकायत तुरंत करें  ठगी का एहसास होते ही तुरंत 1930 (साइबर हेल्पलाइन नंबर) या नजदीकी थाने में संपर्क करें।

4. बैंक के आधिकारिक नंबर से ही बात करें  गूगल पर मिले हर नंबर पर भरोसा न करें।

5. छोटे-छोटे ट्रांजैक्शन पर भी नजर रखें कई बार अपराधी पहले कम रकम निकालते हैं, और बाद में बड़ा हाथ मारते हैं।

गोरखपुर पुलिस की सराहना

इस पूरे मामले में गोरखपुर पुलिस और साइबर सेल की तत्परता की चारों ओर सराहना हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है,कि ऐसे मामलों में पुलिस की सक्रियता जनता के भरोसे को मजबूत करती है, और अपराधियों को कड़ा संदेश भी देती है।

निष्कर्ष cyber fraud in Gorakhpur

गोरखपुर का यह मामला साबित करता है, कि साइबर अपराध से लड़ाई केवल पुलिस की नहीं, बल्कि जनता की भी जिम्मेदारी है। अंबिका प्रसाद मौर्य का उदाहरण इस बात का सबूत है, कि त्वरित सूचना और पुलिस की तत्परता से बड़ा नुकसान टाला जा सकता है।

आज जब डिजिटल इंडिया की दिशा में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है, ऐसे में साइबर सुरक्षा और जागरूकता बेहद जरूरी है। अगर नागरिक सावधान रहें और समय पर पुलिस की मदद लें, तो साइबर अपराधियों के मंसूबों पर पानी फेरना बिल्कुल संभव है।

 लेखक की राय:

यह खबर सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। ठगी का शिकार कोई भी हो सकता है – ग्रामीण, शहरी, पढ़ा-लिखा या अनपढ़। फर्क सिर्फ इतना है कि कौन सतर्क है और कौन लापरवाह। इसलिए जरूरी है कि हम सभी डिजिटल दुनिया में उतनी ही सावधानी बरतें, जितनी हम असल जिंदगी में रखते हैं।

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