Gorakhpur court murder attempt case verdict गोरखपुर में इंसाफ की गूंज: 8 साल पुराने केस में चार अपराधियों को कड़ी सजा

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Gorakhpur court murder attempt case verdict गोरखपुर में इंसाफ की गूंज: 8 साल पुराने केस में चार अपराधियों को कड़ी सजा

Gorakhpur court murder attempt case verdict गोरखपुर। पूर्वांचल के सबसे महत्वपूर्ण जिलों में से एक गोरखपुर में मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को हत्या की कोशिश (धारा 307 आईपीसी) के मामले में दोषी ठहराया। अदालत ने सभी अभियुक्तों को 10-10 वर्ष का कठोर कारावास और भारी भरकम जुर्माना अदा करने का आदेश दिया। इस फैसले को पुलिस और न्यायपालिका की बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह “ऑपरेशन कनविक्शन” अभियान के तहत गंभीर अपराधों में दोषसिद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

मामला कब और कैसे शुरू हुआ?

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Gorakhpur court murder attempt case verdict
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यह पूरा मामला वर्ष 2017 का है। गोरखपुर के गीडा थाना क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति पर उस समय जानलेवा हमला किया गया था। पीड़ित ने अपने बयान में बताया कि हमलावरों ने न सिर्फ मारपीट की, बल्कि उसे मौत के घाट उतारने की पूरी कोशिश की। घटना की गंभीरता को देखते हुए गीडा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ और चार आरोपियों—रामनाथ, धर्मवीर, उपेंद्र और विशाल—को नामजद किया गया।

पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा और चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। अभियोजन पक्ष ने पूरे मामले में ठोस साक्ष्य, मेडिकल रिपोर्ट और गवाहों के बयानों के आधार पर अदालत को विश्वास दिलाया कि यह हमला केवल मारपीट नहीं बल्कि एक सुनियोजित हत्या का प्रयास था।

अदालत की कार्यवाही Gorakhpur court murder attempt case verdict

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मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार की अदालत ने इस मामले पर अंतिम सुनवाई करते हुए चारों आरोपियों को दोषी करार दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ने जो सबूत पेश किए, वे इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त हैं,कि आरोपियों ने हत्या की कोशिश की थी।

कोर्ट ने चारों दोषियों को 10-10 वर्ष का कठोर कारावास सुनाया और प्रत्येक को ₹12,000 का जुर्माना भरने का आदेश दिया। यदि जुर्माना अदा नहीं किया गया तो उन्हें अतिरिक्त आठ महीने की कैद भुगतनी होगी। अदालत ने साफ किया कि ऐसे अपराधों में सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि समाज में डर बना रहे और लोग कानून को हाथ में लेने की हिम्मत न करें।

ऑपरेशन कनविक्शन की सफलता

पुलिस विभाग द्वारा चलाए जा रहे “ऑपरेशन कनविक्शन” का मकसद यह है,कि गंभीर अपराधों में अभियुक्तों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जा सके और पीड़ितों को न्याय मिले। इस अभियान के तहत पुलिस टीम पुराने मामलों की फाइलें खंगाल रही है, गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है, और अदालत में मजबूत पैरवी कर रही है।

इस केस में भी पुलिस ने गवाहों को सुरक्षित रखा, मेडिकल साक्ष्यों को सही समय पर कोर्ट में पेश किया और अभियोजन पक्ष को हर जरूरी दस्तावेज मुहैया कराया। यही वजह है, कि आठ साल पुराने मामले में अब जाकर अदालत से ठोस फैसला आ पाया।

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया Gorakhpur court murder attempt case verdict

सजा सुनाए जाने के बाद गोरखपुर पुलिस ने इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बताया। पुलिस अधिकारियों का कहना है,कि यह फैसला न सिर्फ पीड़ित परिवार को न्याय दिलाता है, बल्कि अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश भी है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा
“हत्या की कोशिश जैसे गंभीर अपराधों में दोषसिद्धि सुनिश्चित करना पुलिस की प्राथमिकता है। इस केस में सजा दिलाने के लिए हमारी पूरी टीम ने दिन-रात मेहनत की। हमें उम्मीद है, कि आगे भी ऐसे मामलों में अभियुक्तों को कड़ी सजा मिलेगी।”

समाज में प्रभाव Gorakhpur court murder attempt case verdict

गोरखपुर की यह घटना और उसके बाद आया फैसला स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। लोग इसे न्यायपालिका की मजबूती और पुलिस के प्रयासों की जीत मान रहे हैं।

पीड़ित परिवार ने फैसले के बाद कहा कि उन्हें आखिरकार इंसाफ मिला है, हालांकि यह देर से आया। उन्होंने अदालत और पुलिस का आभार जताते हुए उम्मीद जताई कि आगे भी गरीब और आम आदमी को इसी तरह समय पर न्याय मिलेगा।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है,कि ऐसे मामलों में त्वरित न्याय बेहद जरूरी है। अगर अपराधियों को समय रहते सजा मिलेगी तो अपराध दर में कमी आएगी और समाज में कानून का डर बना रहेगा

जुर्माना और सजा का महत्व Gorakhpur court murder attempt case verdict

कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा केवल जेल तक सीमित नहीं है। दोषियों पर लगाया गया जुर्माना भी महत्वपूर्ण है। अदालत ने साफ कहा कि जुर्माना अदा न करने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यह संदेश देता है, कि अपराध केवल शारीरिक दंड तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आर्थिक बोझ भी डाल सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है,कि आर्थिक दंड अपराधियों को दोबारा अपराध करने से रोकने में मदद करता है, क्योंकि जेल की सजा के बाद भी उन्हें वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है।

न्याय की उम्मीद और संदेश Gorakhpur court murder attempt case verdict

यह फैसला गोरखपुर और पूरे उत्तर प्रदेश के लिए मिसाल है। इससे यह संदेश गया है, कि चाहे मामला कितना भी पुराना क्यों न हो, अपराधियों को न्यायपालिका से बचाया नहीं जा सकता। पीड़ित परिवारों को भी इससे यह भरोसा मिलेगा कि यदि वे धैर्य रखें और पुलिस व अदालत का सहयोग करें तो उन्हें न्याय अवश्य मिलेगा।

Gorakhpur court murder attempt case verdict गोरखपुर जिला एवं सत्र न्यायालय का यह फैसला साबित करता है,कि न्याय में भले ही देर हो, लेकिन अंधेर नहीं होता। चारों दोषियों को दी गई 10-10 साल की सजा न केवल पीड़ित को न्याय दिलाने का माध्यम है, बल्कि अपराधियों और समाज के लिए एक सबक भी है।

यह मामला पुलिस, अभियोजन और अदालत के तालमेल का उदाहरण है, जिसने आखिरकार पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया। आने वाले समय में उम्मीद है, कि “ऑपरेशन कनविक्शन” के तहत और भी मामलों में सजा दिलाई जाएगी और अपराधियों को उनके किए की सजा मिलेगी।

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