Waqf Bill 2024-2025: संसद से मंजूरी के बाद विवाद और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या है आगे का रास्ता?
Waqf Bill 2024-2025 को संसद ने अप्रैल 2025 में पास किया, लेकिन विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का विरोध जारी। सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, बंगाल में हाई अलर्ट और इसके प्रभाव—जानें पूरी खबर।
Waqf Bill 2024-2025: संसद से पास, लेकिन विवादों में घिरा
Waqf Bill 2024-2025, जिसे औपचारिक रूप से “एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995” (UMMEED Act) कहा गया, भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर एक बड़ा बदलाव लाने वाला कानून है। इसे 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की समीक्षा के बाद अप्रैल 2025 में संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिली। लोकसभा में 2 अप्रैल को 12 घंटे की बहस के बाद यह 288-232 वोटों से पास हुआ, जबकि राज्यसभा में 3 अप्रैल को 128-95 वोटों से स्वीकृति मिली। हालांकि, यह बिल अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी का इंतजार कर रहा है, लेकिन इसके साथ ही विवाद और कानूनी चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। इस लेख में हम Waqf Bill 2024-2025 के प्रावधानों, विरोध और भविष्य पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Waqf Bill 2024-2025: प्रमुख प्रावधान और बदलाव
Waqf Bill 2024-2025 मौजूदा वक्फ अधिनियम, 1995 में कई बड़े संशोधन लाता है। सरकार का दावा है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। इसके कुछ मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं:
- वक्फ की परिभाषा में बदलाव: अब केवल वही व्यक्ति वक्फ संपत्ति दान कर सकता है, जो कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो। “वक्फ बाय यूजर” (लंबे समय तक उपयोग से वक्फ) का कॉन्सेप्ट हटा दिया गया है।
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य किया गया।
- सर्वेक्षण का अधिकार: वक्फ संपत्तियों का सर्वे अब जिला कलेक्टर करेंगे, न कि वक्फ बोर्ड के सर्वे आयुक्त।
- पारदर्शिता: सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी होगा, और खातों का ऑडिट होगा।
- महिलाओं का प्रतिनिधित्व: बोर्ड में कम से कम दो महिलाओं की नियुक्ति का प्रावधान।
केंद्र सरकार का कहना है कि देशभर में 9.4 लाख एकड़ जमीन और 8.7 लाख वक्फ संपत्तियों (1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक कीमत) के कुप्रबंधन को रोकने के लिए यह जरूरी था।
Waqf Bill 2024-2025 पर क्यों हो रहा है विरोध?
Waqf Bill 2024-2025 के पारित होने के बाद से ही विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। प्रमुख आपत्तियां इस प्रकार हैं:
- धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला: कांग्रेस, AIMIM और टीएमसी ने इसे संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन बताया, जो धार्मिक मामलों में स्वायत्तता देता है।
- वक्फ बोर्ड की शक्ति में कटौती: असदुद्दीन ओवैसी ने इसे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता छीनने की साजिश करार दिया।
- मस्जिदों-कब्रिस्तानों पर खतरा: “वक्फ बाय यूजर” हटने से पुरानी धार्मिक संपत्तियां खतरे में पड़ सकती हैं, जिनके पास दस्तावेजी सबूत नहीं हैं।
- सांप्रदायिक ध्रुवीकरण: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे धर्मनिरपेक्षता और संघीय ढांचे के खिलाफ बताया।
4 अप्रैल 2025 को कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट में इसकी संवैधानिकता को चुनौती दी। विरोध प्रदर्शन भी देशभर में देखे गए, खासकर बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में।
Waqf Bill 2024-2025 का असर सिर्फ कानूनी दायरे तक सीमित नहीं है। पश्चिम बंगाल में रामनवमी 2025 (17 अप्रैल) से पहले हाई अलर्ट जारी किया गया है, जहां भाजपा ने दावा किया है कि 1.5 करोड़ हिंदू जुलूसों में शामिल होंगे। इस बिल के विरोध में बढ़ते तनाव ने धार्मिक ध्रुवीकरण की आशंका को और बढ़ा दिया है। ममता सरकार इसे शांति से निपटाने की तैयारी में है, लेकिन बिल के प्रभाव से सामाजिक माहौल गरमा सकता है।
Waqf Bill 2024-2025: राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए लंबित
Waqf Bill 2024-2025 अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए लंबित है। अगर इसे हरी झंडी मिलती है, तो यह कानून बन जाएगा। लेकिन आगे का रास्ता आसान नहीं दिखता:
- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: विपक्ष की याचिका पर कोर्ट इसकी वैधानिकता की जांच करेगा। अगर रोक लगी, तो लागू होने में देरी हो सकती है।
- राज्य सरकारों की भूमिका: चूंकि यह समवर्ती सूची का विषय है, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्य इसे लागू करने में अड़चन डाल सकते हैं। तमिलनाडु विधानसभा ने पहले ही इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है।
- सामाजिक प्रभाव: बिल के समर्थक इसे पारदर्शिता की जीत बताते हैं, जबकि критики इसे अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला मानते हैं।
Waqf Bill 2024-2025 एक ऐसा कानून है, जो सुधार और विवाद के बीच फंसा हुआ है। सरकार इसे गरीब मुस्लिमों के लिए “उम्मीद” बता रही है, लेकिन विपक्ष और समुदाय इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर खतरे के रूप में देखते हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला और राज्यों का रुख इसके भविष्य को तय करेगा। क्या यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में क्रांति लाएगा, या सियासी और सामाजिक उथल-पुथल का कारण बनेगा? यह सवाल अभी अनसुलझा है।
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