UP Health Department Job Scam यूपी स्वास्थ्य विभाग का बड़ा घोटाला: एक ही नाम पर छह जिलों में नौकरी, विभागीय जांच शुरू

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UP Health Department Job Scam यूपी स्वास्थ्य विभाग का बड़ा घोटाला: एक ही नाम पर छह जिलों में नौकरी, विभागीय जांच शुरू

UP Health Department Job Scam यूपी स्वास्थ्य विभाग में बड़ा घोटाला! एक ही नाम से छह जिलों में एक्स-रे टेक्नीशियन की नियुक्ति, विभागीय जांच शुरू, बेरोजगार युवाओं में आक्रोश।

उत्तर प्रदेश में बेरोजगार युवाओं की संख्या लाखों में है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवार सालों तक मेहनत करते हैं, लेकिन नौकरी हासिल करना उनके लिए किसी संघर्ष से कम नहीं होता। इसी बीच राज्य के स्वास्थ्य विभाग से एक ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने न केवल व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि विभाग की विश्वसनीयता को भी झकझोर दिया है। मामला है,एक ही नाम, पिता का नाम और जन्मतिथि वाले व्यक्ति की छह अलग-अलग जिलों में नियुक्ति का।

2016 की भर्ती और विवाद की पृष्ठभूमि

UP Health Department Job Scam

मामला वर्ष 2016 का है। उस समय उत्तर प्रदेश में एक्स-रे टेक्नीशियन के 403 पदों पर भर्ती निकली थी। मेरिट लिस्ट में “अर्पित सिंह” नाम का उम्मीदवार चयनित हुआ, जिसका रजिस्ट्रेशन क्रमांक 50900041299, पिता का नाम अनिल कुमार सिंह और जन्मतिथि 12 जून 1989 दर्ज थी। नियुक्ति आदेश के अनुसार उसकी पोस्टिंग हाथरस जनपद के मुरसान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हुई थी।

पहली नजर में सब कुछ सामान्य दिखा। लेकिन कुछ साल बाद जब मानव संपदा पोर्टल (जो स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का आधिकारिक डाटा बेस है) की जांच की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

UP Health Department Job Scam छह जिलों में एक ही पहचान वाले कर्मचारी!

UP Health Department Job Scam मानव संपदा पोर्टल पर यह पाया गया कि उसी नाम, उसी पिता के नाम और बिल्कुल वही जन्मतिथि वाला व्यक्ति अलग-अलग जिलों में नौकरी कर रहा है। जानकारी के मुताबिक ये छह जिले हैं,शामली, रामपुर, फर्रुखाबाद, बांदा, बलरामपुर और बदायूं।

और भी हैरानी की बात यह है, कि चार जिलों में कर्मचारियों का स्थायी पता भी समान दर्ज पाया गया। यानी आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार, “एक व्यक्ति” एक ही समय में छह जगह नियुक्त है, और हर जगह से वेतन भी ले रहा है।

UP Health Department Job Scam विभागीय लापरवाही पर सवाल

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है,कि इतने वर्षों तक विभागीय अधिकारियों को यह गड़बड़ी क्यों नहीं दिखाई दी?

जब मानव संपदा पोर्टल पर सभी कर्मचारियों की जानकारी ऑनलाइन दर्ज होती है, तो एक ही नाम और पिता के नाम की पुनरावृत्ति पर ध्यान क्यों नहीं गया?

नियुक्ति और वेतन भुगतान की प्रक्रिया में इतनी बड़ी चूक कैसे हो सकती है?

स्पष्ट है,कि इस मामले में सिर्फ तकनीकी खामी नहीं बल्कि विभागीय लापरवाही और संभावित मिलीभगत भी शामिल हो सकती है।

UP Health Department Job Scam जांच की शुरुआत

मामले के सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है।

महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, डॉ. रतन पाल सुमन ने कहा है,

“यह गंभीर मामला है। एक ही नाम और पिता का नाम अलग-अलग जगह दिखना संदेहास्पद है। पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी और यदि फर्जी नियुक्ति पाई गई तो दोषियों को कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।”

वहीं, बदायूं के सीएमओ डॉ. रामेश्वर मिश्रा ने बताया कि लखनऊ से जांच टीम आई है और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल विभाग आधिकारिक तौर पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है।

UP Health Department Job Scam युवाओं में आक्रोश

जब यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो बेरोजगार युवाओं में आक्रोश फैल गया। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों ने इसे युवाओं के साथ धोखा बताया।

एक छात्र ने व्यंग्य करते हुए लिखा “हमारे लिए एक नौकरी भी मुश्किल है और कोई एक व्यक्ति छह-छह जगहों पर तैनात है। यह सिस्टम बेरोजगारी को और बढ़ा रहा है।”

यह प्रतिक्रिया केवल गुस्से तक सीमित नहीं है। यह राज्य के रोजगार संकट और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की मांग को भी उजागर करती है।

रोजगार और पारदर्शिता पर गहरा सवाल

यह घोटाला केवल स्वास्थ्य विभाग का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे सरकारी भर्ती तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।

क्या भर्ती प्रक्रिया में पर्याप्त सत्यापन नहीं हुआ?

क्या नियुक्ति पत्र जारी करते समय दस्तावेजों की जांच सिर्फ औपचारिकता थी?

क्या किसी स्तर पर जानबूझकर मिलीभगत से यह खेल खेला गया?

इन सवालों का जवाब मिलना जरूरी है,क्योंकि यह मामला लाखों युवाओं की भावनाओं से जुड़ा है।

UP Health Department Job Scam पुरानी घटनाओं से तुलना

अगर हम देखें तो उत्तर प्रदेश में यह पहला मौका नहीं है,जब फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया हो।

इससे पहले भी बेसिक शिक्षा विभाग और अन्य चिकित्सा सेवाओं में फर्जी दस्तावेज़ों से नौकरी पाने के मामले पकड़े जा चुके हैं।

लेकिन इस मामले की खासियत यह है, कि एक ही नाम से छह जगहों पर नियुक्ति का इतना बड़ा खेल शायद ही पहले सामने आया हो।

आगे की संभावनाएं

यदि जांच में यह साबित हो जाता है,कि छह अलग-अलग लोग एक ही नाम और पहचान का इस्तेमाल करके नौकरी कर रहे हैं, तो यह न केवल बड़ी आपराधिक साजिश होगी बल्कि पूरे विभाग की साख पर भी गहरा धब्बा होगा।

इसके बाद जरूरी होगा कि

1. दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो।

2. वेतन और अन्य लाभ की वसूली की जाए।

3. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भर्ती और पोर्टल प्रणाली में कठोर सुधार किए जाएं।

यह मामला केवल छह जिलों में फर्जी नियुक्ति का नहीं है, बल्कि यह हमारे सरकारी तंत्र की कमजोरियों का आईना है। जब लाखों युवा ईमानदारी से मेहनत कर रहे हैं, तो ऐसे घोटाले उनके विश्वास को तोड़ते हैं,और सिस्टम पर भरोसा कमजोर करते हैं।

UP Health Department Job Scam सरकार और विभाग के लिए यह मौका है,कि वह इस प्रकरण की पूरी सच्चाई सामने लाए और दोषियों को कड़ी सजा दे। तभी युवाओं का भरोसा बहाल होगा और संदेश जाएगा कि सरकारी नौकरी मेहनत से मिलती है, धांधली से नहीं।

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